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10 सिक्ख गुरुओं से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

10 सिक्ख गुरु

10 सिक्ख गुरु

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

10 सिक्ख-

सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है।  सिखों का धार्मिक ग्रन्थ आदि ग्रंथ  या गुरु ग्रंथ साहिब है। सिक्खों के 10 सतगुरू माने जाते हैं।सिखों के धार्मिक स्थान को गुरुद्वारा कहते हैं।

1469 ईस्वी में पंजाब में जन्मे नानक देव ने गुरमत को खोजा और गुरमत की शिक्षाओं  को देश देशांतर में खुद जा जा कर फैलाया था। सिक्ख उन्हें अपना पहला गुरु मानते हैं। गुरमत का प्रचार अन्य 9 गुरुओं ने किया। 10वे गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ये प्रचार खालसा को सोंपा और ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं  पर अमल करने का उपदेश दिया।  सिक्ख एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे एक-ओंकार कहते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर अकाल और निरंकार है।

10 सिक्ख गुरु निम्नलिखित थे-

  1. गुरू नानक ( 1469-1538ई.)- इनके प्रमुख कार्य- सिक्ख धर्म के संस्थापक, हिन्दू – मुस्लिम एकता पर बल, अपवाद एवं कर्मवाद का विरोध, समानता पर सर्वाधिक बल, धर्मप्रचार के लिये संगतों की स्थापना।
  2. गुरू अंगद (लेहना) बाबा श्रीचंद1538-1552ई. –प्रमुख कार्य- गुरू नानक के शिष्य, गुरू के उपदेशों का सरल भाषा में प्रचार गुरू अंगद के पुत्र, उदासी नामक संस्था की स्थापना । लंगर व्यवस्था  को स्थायी बनाया।गुरुमुखी लिपि की शुरुआत की, हुमायूं 1504ई. अंगद से पंजाब में मिला।
  3. गुरू अमरदास 1552-1574ई. – गुरू अंगद के शिष्य, सिक्ख संप्रदाय को एक संगठित रूप दिया। जिसके लिये 22 गद्दियाँ बनायी, अपने शिष्यों के लिये पारिवारिक संत होने का उपदेश दिया, सती प्रथा मादक द्रव्यों के सेवन का विरोध किया। श्री चंद्र के विरोध के कारण स्थान बदलना पङा।
    अकबर ने पंजाब में गुरू से भेंट की, गुरू और उनके शिष्यों को तीर्थ यात्रा कर से मुक्त किया तथा उनकी पुत्री के नाम कई गाँव दिये थे। वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी थे। इन्होंने सिक्खों और हिन्दूओं के विवाह को पृथक करने के लिए लवन पद्धति शुरु की।
  4. गुरू रामदास (1574-1581ई.)- अकबर इनसे बहुत प्रभावित था, 1577ई. में अकबर ने 500बीघा जमीन दी जिसमें एक प्राकृतिक तालाब था, यहीं पर अमृतसर नगर की स्थापना हुई। गुरू का पद पैतृक हो गया। 
  5. गुरू अर्जुनदेव ( 1581-1606ई.) – सिक्ख संप्रदाय को शक्तिशाली बनाया, अपना और अपने पहले के गुरूओं के उपदेश का संकलन 1604ई. आदिग्रंथ में करवाया, अर्जुन ने सूफी संत मियां मीर द्वारा अमृतसर में हरमिंदर साहब की नींव डलवायी, कालांतर में रणजीतसिंह द्वारा हरमिंदर साहब में स्वर्ण जङवाने के बाद अंग्रेजों द्वारा पहलीबार (स्वर्ण मंदिर) नाम दिया गया। स्थायी रूप से धर्म प्रचारक (मसंद और मेउरा) नियुक्त किया।
    सिक्खों का आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक प्रमुख बनाकर शान-ओ-शौकत से रहना प्रारंभ किया। सिक्खों से उनकी आय का 10 प्रतिशत दान के रूप में लेने की प्रथा प्रारंभ की, विद्रोही खुसरो को आर्शीवाद देने के कारण राजद्रोह के आरोप में 1606ई. को फांसी दी गई।  अपने पुत्र हरगोविंद को सशस्त्र होकर बैठने और सर्वोच्च सेना गठित करने का आदेश दिया। गुरू के मृत्यु दंड को सिक्खों ने मुगलों द्वारा धर्म पर पहला आक्रमण माना। तरनतारन नामक नगर की स्थापना की।
  6. गुरू हरगोविंद (1606-45 ई.)- गुरू ने सिक्खों को एक सैनिक संप्रदाय बना दिया, अपने समर्थकों से धन के बजाय घोङे और हथियार लेना प्रारंभ किया, उन्हें मांस खाने की अनुमति दी। गुरू ने तख्त अकाल बंगा की नींव डाली तथा अमृतसर की किलेबंदी की, सिक्खों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ सैनिक शिक्षा दी, शाहजहाँ से बाज प्रकरण के कारण संघर्ष हुआ।
  7. गुरू हरराय (1645-1661ई.)- दारा के सामूगढ युद्ध में पराजित होकर पंजाब भागने पर उसकी मदद की। औरंगजेब द्वारा दरबार में बुलाने पर अपने पुत्र रामराय को दरबार में भेजा। फलस्वरूप दूसरे पुत्र हरिकिशन को गद्दी सौंपी।
  8. गुरू हरिकिशन1661-1664ई.)- गद्दी के लिये बङे भाई रामराय से विवाद।
  9. गुरू तेगबहादुर(1664-1675ई.)- हरिकिशन ने मृत्यु से पहले उन्हें बाकला दे बाबा कहा तत्पश्चात वे बाकला में गुरू स्वीकृत हो गये। धीनामल और रायमल प्रमुख विरोधी थे, औरंगजेब की धार्मिक नीतियों का विऱोध किया फलस्वरूप 1675ई. में इस्लाम धर्म इस्लाम धर्म स्वीकार करने के कारण गुरू की हत्या कर दी गयी।
  10. गुरू गोविंद सिंह( 1675-1708ई.)- पटना में जन्म हुआ। पंजाब की तराई मखोवल अथवा आनंदपुर में अपना मुख्यालय बनाया। पाहुल प्रथा प्रारंभ की, इस मत में दीक्षित को खालसा कहा गया। तथा नाम के अंत में सिंह की उपाधि दी गयी, 1699ई. में खालसा का गठन, प्रत्येक सिक्ख को पंचमकार (केश, कंघा, कङा, कच्छ और कृपाण) धारण करने का आदेश दिया, अपनी मृत्यु से पहले गद्दी को समाप्त कर दिया, एक पूरक ग्रंथ दसवें बादशाह का ग्रंथ संकलन किया, सिक्खों के अंतिम गुरू। 

Reference :https://www.indiaolddays.com/

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