आधुनिक भारतइतिहास

आधुनिक भारत में शिक्षा संबंधी सुधार

स्वतंत्रता के बाद भारत में शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हुए। 1949 में उच्चशिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा कमीशन (राधाकृष्णन आयोग) नियुक्त किया गया।

इसी आयोग की सिफारिश पर 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (U.G.C.) की स्थापना की गयी। 1956 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम – 1956 बना था।

1952 में माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए मुदालियर आयोग की स्थापना की गई।

1964 में डॉ.जी.एस.(दौलत सिंह)कोठारी की अध्यक्षता में कोठारी शिक्षा आयोग गठित किया गया, और इसी आयोग की सिफारिश पर 1968 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गयी, जो धनाभाव और इच्छा-शक्ति के अभाव के कारण जाकर मई, 1986 में लागू की गई।

स्कूली शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिए 1961 में राष्ट्रीय शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद (N.C.E.R.T.)की स्थापना की गयी।

स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने भाषा संबंधी विवाद को सुलझाने के लिए 1955 में श्री बी.जी.खेर की अध्यक्षता में एक राजभाषा-आयोग का गठन किया।

राजभाषा-आयोग ने सरकार को अपना प्रतिवेदन 1956 में सरकार को दिया, जो संसद के समक्ष 1957 में रखा गया।

इस आयोग ने सिफारिश की, कि संविधान के प्रारंभ से 15 वर्ष की अवधि तक शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा। इसके बाद हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देकर शासकीय प्रयोजन में उसका प्रयोग किया जायेगा।

इसी आयोग की सिफारिश पर 1963 में राजभाषा-अधिनियम – 1963 बना।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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