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अलबरूनी कौन था | Alabaroonee kaun tha | who was alberuni

अलबरूनी

अलबरूनी (998-1030ई.) का पूरा नाम अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल – बदरूनी था। अलबरूनी का जन्म 973 ई. में ख्वारिज्म में हुआ था। ख्वारिज्म वर्तमान में उज्बेकिस्तान में है। ख्वारिज्म को खींवा (मध्य एशिया) भी कहा जाता है। इसके बचपन का नाम अबू रेहान था।

अलबरूनी गजनी के शासक महमूद गजनवी का दरबारी विद्वान था।

यह एक फारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ था। अलबरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत 1018-19ई. में आया था। इसे भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता है।

अलबरूनी महमूद गजनवी के भारत विजय से पूर्व एक विद्वान तथा राजनयिक के रूप में खींवा वंश के अंतिम शासक ख्वारिज्मशाह की सेवा में था। 1017 में जब महमूद गजनवी ने ख्वारिज्मशाह पर आक्रमण कर विजय पायी तो उसी समय उसने अलबरूनी भी उसके साथ आया। भारत को लूटने के बाद महमूद गजनवी अपनी सेना के साथ गजनी लौट गया किन्तु अलबरूनी कई वर्षों तक भारत में ही रुके रहा। उसने देश के विभिन्न भागों का भ्रमण किया तथा हिन्दुओं की भाषा, धर्म एवं दर्शन का अध्ययन किया। उसने काशी के ब्राह्मणों से संस्कृत सिखी।

अलबरूनी एक विद्वान ही नहीं था, बल्कि वह एक खगोल विज्ञान, भूगोल, तर्कशास्त्र, ओषधि विज्ञान, गणित, दर्शन, धर्म और धर्म शास्त्र का भी ज्ञानी था।

अलबरूनी ने 1030 ई. में किताब-उल- हिंन्द (भारत के दिन) नामक किताब की रचना अरबी भाषा मे की थी। इसकी मृत्यु गजनी (अफगानिस्तान) में हुई।

अलबरूनी की पुस्तक किताब-उल-हिन्द का अंग्रेजी में अनुवाद चलरक सचाऊ ने किया। तथा हिन्दी में अनुवाद रजनीकांत शर्मा ने किया।

अलबरूनी ने 146 किताबें लिखी थी जिनमें से प्रमुख के नाम निम्नलिखित हैं-

  • तारीख अल हिन्द
  • अल कानून अल मसूद
  • कानून अल  मसूदी अल हैयत
  • अल नजूम

भारत के प्रमुख क्षेत्रों की यात्रा कर अरबी भाषा में अपने ग्रंथ किताब-उल-हिन्द (तहकीक-ए-हिन्द) की रचना की। इस ग्रंथ में 11वी. शता. के भारतीय सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक परंपराओं की जानकारी मिलती है। राजनैतिक दशा की जानकारी अलबरूनी ने नहीं दी।

अलबरूनी  विश्व का प्रथम मुस्लिम भारतवेता है। (भारत के बारे में गहन जानकारी प्रदान करने वाला)

इसे मुन्नजिम की उपाधि मिली थी। मुन्नजिम का अर्थ है-  खगोलविद एवं ज्योतिषविद। यह अनेक भाषाओं का ज्ञाता था जैसे अरबी, फारसी, सारानी, संस्कृत।

 किताब-उल-हिन्द में भारतीय समाज में व्याप्त व्यवस्था, ब्राह्मणों की सर्वोच्चता, जाति प्रथा, अछूतों की दयनीय स्थिति, महिलाओं की दयनीय स्थिति तथा सामाजिक परंपराओं का उल्लेख किया गया है।

अलबरूनी कहता है कि भारत के ब्राह्मण विद्वान हैं, लेकिन उनमें कूप – मंडूता है। उनका विदेशों से संपर्क नहीं है वे केवल अपने क्षेत्र, अपने धर्म, अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ बताते हैं।

अलबरूनी ने भारतीय परिस्थितियों एवं संस्कृतियों को जानने के लिये ब्रह्मगुप्त के ब्रह्म-सिद्धांत, वराहमिहिर की वृहत्संहिता, कपिल के सांख्य तथा पतंजलि के योग आदि रचनाओं का उल्लेख किया है तथा जगह-जगह भगवत गीता, विष्णु पुराण व वायु पुराण को उद्धृत किया है। पुराणों का अध्ययन करने वाला अलबरूनी प्रथम मुस्लमान था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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