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बङगाँव की संधि (समझौता) क्या था

बङगाँव की संधि

बङगाँव की संधि


बड़गाँव की संधि 

यह समझौता जनवरी, 1779 ई. में किया गया था। यह समझौता प्रथम मराठा युद्ध (1775-82 ई.) के दौरान भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की सरकार की ओर से कर्नल काकबर्क और मराठों के मध्य हुआ।

बंबई सरकार ने कर्नल एगटस के नेतृत्व में एक सेना भेजी, किन्तु जब वह मराठों के हाथों पराजित हुआ, तब उसके स्थान पर कर्नल काकबर्क की नियुक्ति की गई। मराठा सेना का नेतृत्व महादजी सिंधिया व मल्हारराव होल्कर कर रहे थे। मराठा सेना धीरे-2पीछे हटती गई और ब्रिटिश सेना आगे बढती हुई पूना से 18 मील दूर तेलगाँव के मैदान तक आ पहुँची।

19 जनवरी,1779 को तेलगाँव पहुँचते ही अंग्रेजों को मालूम हुआ कि मराठों ने उन्हें तीन ओर से घेर लिया है। इस पर मराठों ने आगे बढकर आक्रमण कर दिया।दोनों पक्षों के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें अंग्रेज पराजित हुए।इस पराजय के साथ ही बंबई सरकार को एक अपमानजनक समझौता करना पङा।29जनवरी,1779 को दोनों पक्षों में बङगाँव का समझौता हो गया।

बङगाँव की संधि-

  • अंग्रेज राघोबा को मराठों के हवाले कर देंगे।
  • अब तक अंग्रेजों ने जिन मराठों के प्रदेशों पर अधिकार किया है, वे सभी मराठों को सौंप देंगे।
  • जब तक अंग्रेज इन शर्तों को पूरा न करें, तब तक दो अंग्रेज अधिकारी बतौर बंधक,मराठों के पास कैद में रहेंगे।
  • इस समझौते के अनुसार तय हुआ कि कम्पनी की बम्बई सरकार 1773 ई. के बाद के जीते गये समस्त इलाके मराठों को लौटा देगी और अपने वचनों का पालन करने की गारंटी के रूप में कुछ अफ़सरों को मराठों के सुपुर्द कर देगी।

बङगाँव का समझौता अंग्रेजों के लिए घोर अपमानजनक था। स्वयं हेस्टिंग्ज ने कहा कि जब मैं बङगाँव समझौते की धाराओं को पढता हूँ तो मेरा सिर लज्जा से झुक जाता है। अतः हेस्टिंग्स ने उस समझौते को स्वीकार नहीं किया।

Reference :https://www.indiaolddays.com/

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