मध्यकालीन भारतइतिहासविजयनगर साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य-

  1. बहमनी साम्राज्य इतिहास क्या था
  2. विजयनगर साम्राज्य का तुलुव वंश
  3. संगम काल की शासन व्यवस्था क्या थी
  4. कृष्ण देवराय किसके समकालीन था

विजयनगर साम्राज्य से संबंधित प्रश्न कई परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। अतः हमने कोशिश करी है कि सभी महत्त्वपूर्ण तथ्य हम आपको बता सकें। यहाँ पर हमने सिर्फ महत्त्वपूर्ण बातों को ही बताया है। जो निम्नलिखित हैं-

  • विजयनगर साम्राज्य में नंदिनागढी लिपि का प्रयोग होता था।
  • वेंकटमाधव ने ऋग्वेद पर टीकाएं तथा सायण ने वेदों पर टीकाएं लिखी।
  • प्रारंभ में विजयनगर एक सहकारी शासन था। इसमें कई लोगों की भागीदारी थी।
  • दक्षिणी राज्यों के लिए गोआ के रास्ते से घोङों का व्यापार होता था।
  • बहमनी मुद्रा हून तथा विजयनगर की मुद्रा पराडो थी।
  • 1367ई. की लङाई में पहली बार विजयनगर ( बुक्का प्रथम ) तथा बहमनी ( मुहम्मद शाह प्रथम ) के बीच तोपखाने का प्रयोग हुआ। इस युद्ध में बहमनी शासक की विजय हुई। यह पहला अवसर था जब किसी बहमनी शासक ने विजयनगर की सीमा में प्रवेश किया।
  • 1367ई. के ही युद्ध में मुहम्मद शाह प्रथम ने वारंगल के कापय नायक को पराजित करके तख्त-ए-फिरोजा प्राप्त किया था।
  • बहमनी और विजयनगर के बीच संघर्ष का केन्द्र कृष्णा एवं तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित रायचूर दोआब था।
  • सोनार की बेटी का युद्ध विजयनगर शासक देवराय तथा बहमनी शासक फिरोजशाह के बीच हुआ था।
  • विजयनगर – बहमनी संघर्ष के वास्तविक कारण भौगोलिक, राजनीतिक, आर्थिक  और सामरिक थे। रायचूर दोआब हीरा और लोहे जैसे बहुमूल्य खनिजों की खानों के लिए विख्यात था।
  • बहमनी के संस्थापक अलाउद्दीन हसन बहमनशाह ने कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के मध्य स्थित   रायचूर के किले पर अधिकार कर लिया। यह बहमनी और विजयनगर साम्राज्य के मध्य संघर्ष का प्रारंभ था।
  • अमीर अली बरीद को दक्कन की लोमङी तथा बहमनी शासक हुमायूँ को दक्कन का नीरो कहा जाता है।
  • फिरोज शाह बहमनी ने प्रशासन में बङे स्तर पर हिन्दुओं को सम्मिलित किया। कहा जाता है इसी समय से दक्कनी ब्राह्मण राज्य के प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने लगे।
  • बहमनी शासक अहमद शाह प्रथम को गेसूदराज के साथ के कारण वली कहा जाता था।
  • महमुद गवाँ एक ईरानी व्यापारी था। इसे व्यापारियों के प्रमुख ( मलिक – उत् – तुज्जार ) की उपाधि दी गयी थी।
  • महमूद गवाँ का प्रमुख सैनिक योगदान दभोल और गोआ सहित पश्चिमी समुद्री तट पर विजय थी।
  • महमूद गवाँ ने ईरान, ईराक, मिस्त्र और टर्की के सुल्तानों के साथ पत्र व्यवहार किया और उसने अपने मदरसे में ईरान और ईराक से विद्वान बुलवाये।
  • विजयनगर  की राजभाषा तेलुगू तथा बहमनी की राजभाषा मराठी थी।
  • विजयनगर की पहली राजधानी एनेगोन्दी थी उसके पश्चात् क्रमशः हम्पी ( विजयनगर ), वेकोगोण्डा (पेनुकोण्डा ) तथा चंद्रगिरि थी।
  • देवराय प्रथम ने अपनी घुङसवार सेना को शक्तिशाली बनाने के लिए सर्वप्रथम तुर्की धनुर्धरों को अपनी सेना में भर्ती किया, तत्पश्चात   देवराय द्वितीय तथा रामराय ने इसी का अनुसरण किया।
  • हरिहर प्रथम ने होयसल पर , बुक्का प्रथम ने मदुरै पर, हरिहर द्वितीय ने गोवा पर तथा कृष्ण देवराय ने रायचूर दोआब पर अधिकार करके उसे विजयनगर साम्राज्य में मिलाया।
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  • नूनिज के अनुसार क्विलान, श्रीलंका, पूलीकट, पेगू और तेनसिरिम ( क्रमशः वर्मा और मलाया ) के राजा देवराय द्वितीय को कर देते थे।
  • नरसिंह सालुव अपने वंश ( सालुव वंश ) का एक मात्र शासक था।
  • विजयनगर राज्य छः प्रान्तों में बँटा हुआ था।
  • देवराय द्वितीय को दो संस्कृत ग्रंथों महानाटक सुधानिधि एवं बादरायण के ब्रह्मसूत्र पर टीका की रचना करने का गौरव प्राप्त है।
  • विजयनगर काल में टकसाल विभाग को जोरीखाना तथा कुंतल विजयनगर को कहा जाता था।विरुपाक्ष ने संस्कृत में नारायण-विलास नामक पुस्तक की रचना की।
  • कृष्णदेवराय की रचनायें- तेलुगू में आमुक्त माल्यद, संस्कृत में जाम्बवती कल्याण , उषा परिणय।
  • अल्लासानी पेङडाना कृष्णदेवराय के अष्टदिग्गज कवियों में सर्वप्रमुख थे। इन्होंने मनुकारिता की रचना की। इन्हें आंध्र कविता का पितामह कहा जाता हा।
  • विजयनगर राज्य में वसल पानम ( गृह कर ) तथा तटकर से होने वाली आय को केवलगार कहते थे।
  • विजयनगर में नकद भुगतान वाले भुगतान करों को सिद्ध कहते थे।
  • विजयनगर साम्राज्य की सेना में ब्राह्मणों का महत्त्वपूर्ण स्थान था।उन्हें न केवल प्रधान सेनाधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाता था बल्कि वे सेनाओं का नेतृत्व भी करते थे।
  • मंदिरों को अनुदान के रूप में सर्वमान्य जमीनें प्रदान की जाती थी।
  • सदाशिव राय के अभिलेखों से हमें यह सूचना मिलती है कि उसने नाइयों को व्यवसाय कर से मुक्त कर दिया था।
  • छोटे व्यवसायों में सबसे महत्त्वपूर्ण गंधी का पेशा था।
  • विजयनगर कालीन सिक्कों पर विभिन्न देवताओं और पशुओं के चिन्ह रहते थे।
  • विजयनगर काल में वेश्याओं एवं मंदिरों पर भी कर लगते थे।
  • कालीकट विजयनगर का प्रमुख बंदरगाह था।
  • विजयनगर राज्य में भूमिकर को शिष्ट कहते थे। यह उपज का 1/6 भाग तथा राज्य के आय का प्रमुख स्त्रोत था। राजस्व विभाग को अठावन कहा जाता था।कर मुद्रा एवं अनाज दोनों रूपों में दिये जाते थे।
  • विजयनगर राज्य में ब्रह्म विवाह सर्वाधिक प्रचलित था इसे कन्यादान भी कहते थे।
  • महानवमी ( नवरात्रि पर्व ) बहुत ही महत्त्वपूर्ण त्योंहार था।
  • विजयनगरर राज्य में सेना को मुख्यतः नकद वेतन दिया जाता था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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