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भारतीय संविधान की विशेषताएं क्या थी

अन्य संबंधित तथ्य-

भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, जिसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचि और 22 भाग थे। यह दुनिया का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है।

भारतीय संविधान लिखित, नवनिर्मित तथा विश्व का सर्वाधिक व्यापक संविधान है।

वर्तमान समय में भारतीय संविधान में कुल 444 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियाँ तथा 22 भाग हैं।

समय– समय पर संविधान में कई संशोधन किए गए हैं। जैसे, 42 वें संशोधन अधिनियम,1976 द्वारा कई बदलाव किए गए।

भारतीय संविधान के स्रोतः

भारतीय संविधान कई देशों की संविधान की विशेषताओं से मिलकर बना हुआ है।

विभिन्न देशों के संविधान से ली गईं विशेषताएं इस प्रकार हैं–

ब्रिटेन से ली गई विशेषताएं-

नाममात्र का प्रमुख – राष्ट्रपति ( जैसे ब्रिटेन की महारानी ), मंत्रियों की कैबिनेट प्रणाली, प्रधानमंत्री का पद, सरकार का संसदीय प्रकार, दो सदन वाली संसद,अधिक शक्तिशाली निचला सदन, मंत्रि परिषद का निचले सदन के प्रति जिम्मेदार होना, ये सभी ब्रिटेन से लिये गये हैं।

अमेरिका से ली गई विशेषताएं-

लिखित संविधान, देश का कार्यकारी प्रमुख, जिसे राष्ट्रपति कहा जाता है । और वह सैन्य बलों का सर्वोच्च कमांडर होगा, राज्य सभा के पदेन अध्यक्ष के तौर पर उप–राष्ट्रपति, मौलिक अधिकार, सुप्रीम कोर्ट राज्यों का प्रावधान, न्यायपालिका और न्यायिक समीक्षा की स्वतंत्रता, प्रस्तावना, सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के जजों को हटाना ।

सोवियत संघ से ली गई विशेषताएं-

मौलिक कर्तव्य, पंचवर्षीय योजना।

ऑस्ट्रेलिया से ली गई विशेषताएं-

समवर्ती सूची, प्रस्तावना की भाषा, व्यापार, वाणिज्य और मेल–जोल के संदर्भ में प्रावधान ।

जापान से ली गई विशेषताएं-

कानून जिस पर सुप्रीम कोर्ट काम करता है

जर्मनी से ली गई विशेषताएं-

आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन

कनाडा से ली गई विशेषताएं-

सशक्त केंद्र के साथ संघ की योजना, केंद्र और राज्यों एवं स्थानों के बीच सत्ता का वितरण।

आयरलैण्ड से ली गई विशेषताएं-

राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों की अवधारणा (आयरलैंड ने इसे स्पेन से उधार लिया था)राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में सदस्यों का नामांकन ।

भारतीय संविधान की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • लिखित, निर्मित एवं विश्व का विशालतम संविधान।
  • प्रभुत्वसंपन्न, लोकतंत्रात्मक, पंथनिरपेक्ष, समाजवादी गणराज्य की स्थापना।
  • संसदीय सरकार की स्थापना।
  • मूल अधिकारों का समावेश।
  • राज्य के लिए नीति-निर्देशक तत्वों का समावेश।संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 50) में
  • लचीलेपन तथा कठोरता का आश्चर्यजनक मेल।
  • केन्द्र की ओर उन्मुखता।
  • वयस्क मताधिकार का प्रावधान।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना।
  • एकल नगरिकता का प्रावधान।
  • पंथनिरपेक्ष राज्य की स्थापना।
  • नागरिकों के लिए मूल कर्त्तव्यों का समावेश। इन्हें 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) द्वारा संविधान में शामिल किया गया है। इस उद्देश्य के लिए, एक नया हिस्सा, भाग IV– ए बनाया गया और अनुच्छेद 51– ए के तहत दस कर्तव्य शामिल किए गए। यह प्रावधान नागरिकों को इस बात की याद दिलाता है कि अधिकारों का उपयोग करने के दौरान उन्हें अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना चाहिए।
  • कल्याणकारी राज्य की स्थापना का उद्देश्य।

भारत का संविधान संपूर्ण प्रभुत्त्वसंपन्न, लोकतांत्रिक, पंथ निरपेक्ष तथा समाजवादी है।

भारत के संविधान का स्त्रोत भारत की जनता है।

प्रथम संविधान संशोधन 1951 ई. के द्वारा भारतीय संविधान में नवी.अनुसूची जोङी गयी है।

लोकतंत्रतात्मक सरकार का अर्थ है, कि भारत सरकार की शक्ति का स्त्रोत भारत की जनता है। जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि ही देश का शासन चलाते हैं। जो जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता रवीन्द्र नाथ टैगोर थे।

भारतीय राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी थे।

गणराज्य शब्द का प्रयोग समस्त संविधान में केवल प्रस्तावना में किया गया है।

लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 78 एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 42 स्थान आरक्षित हैं।

लोकसभा का प्रथम निर्वाचन 1951-52 ई. में हुआ था। 13 मई, 1952 ई. को पहली बार लोकसभा की प्रथम बैठक हुई थी।

लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जी.वी.(गणेश वासुदेव)मावलंकर थे।

प्रथम लोकसभा के चुनाव के समय मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे।

सर्वप्रथम राज्य सभा का गठन 3 अप्रैल,1952 ई. को हुआ था।

भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधा कृष्णन थे।

29 जनवरी, 1953 ई. को काका कालेलकर की अध्यक्षता में प्रथम पिछङा वर्ग आयोग का गठन किया गया था।

जनवरी, 1950 में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने से पहले भारत में फेडरल कोर्ट हुआ करती थी। इससे आगे की अपील ब्रिटेन की प्रिवी काउंसिल की न्यायिक समिति के समक्ष की जा सकती थी।

प्रिवी काउंसिल का अधिकार क्षेत्र अक्टूबर, 1949 को समाप्त कर दिया गया और फेडरल कोर्ट की जगह सुप्रीम कोर्ट ने ले ली।

पहला चुनाव आयोग सुकुमार सेन के नेतृत्व में हुआ। इस चुनाव में कुल मिलाकर 14 राष्ट्रीय और 63 क्षेत्रीय अथवा स्थानीय पार्टियों ने हिस्सा लिया।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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