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बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान का इतिहास

अलीवर्दी खान

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

शुजाउद्दीन के प्रमुख प्रशासनिक सलाहकारों में शामिल थे- राय ए रायान,आलमचंद (वित्त विशेषज्ञ), जगत सेठ फतहजंग (साहूकार) तथा अलीवर्दी खां और हाजी अहमद खां ।

शुजाउद्दीन ने अलीवर्दी खां को 1739 में बिहार का नायब नाजिम नियुक्त किया । इसी समय शुजाउद्दीन की मृत्यु हो गई।

शुजाउद्दीन के बाद उसका पुत्र आलम-उद-दौला हैदरजंग सरफराज खां बंगाल का नवाब हुआ(13 मार्च,1739)।

सरफराज की प्रशासनिक कार्यों के प्रति निष्क्रियता और अयोग्यता के कारण शीघ्र ही बंगाल में हुई एक क्रांति द्वारा सरफराज को राजसिंहासन और जीवन दोनों का त्याग करना पङा।

अलीवर्दी खां के नेतृत्व में हुई इस क्रांति में हाजी अहमद और जगत सेठ भी शामिल थे।1740 ई. में राज महल के समीप लङे गये गिरिया के युद्ध में रसफराज खां बुरी तरह पराजित हुआ।

अलीवर्दी खान-

बंगाल का अगला नवाब अलीवर्दी खां (1740 से 1756 ई.) हुआ, जो बंगाल का अंतिम शक्तिशाली नवाब सिद्ध हुआ।

अली-वर्दी-खान ने 2 करोड़ रुपए मुगल बादशाह को देकर नवाब के पद के वैधानिकता को प्राप्त किया ।

आठ वर्ष तक लगातार बंगाल में मराठा आक्रमणों को उस समय विराम मिला जब 1751 ई. में अलीवर्दी खां ने मराठों से एक संधि कर ली।

इसने अपने 16 साल के कार्यकाल में कभी भी मुगल राजकोष में कोई भी राजस्व का कोई भी हिस्सा जमा नहीं किया ।

अलीवर्दी एक योग्य शासक था इसने अपने शासनकाल में भूमि सुधारों के अलावा व्यापार को भी प्रोत्साहित किया।इसने अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश लगाते हुए क्रमशः कलकत्ता और चंद्रनगर की अपनी-2 बस्तियों के किलेबंदी का विरोध किया।

अंग्रेजोंके साथ इसके अच्छे सम्बन्ध थे लेकिन इसने अंग्रेजो को दुर्गीकरण (किले-बन्दी ) करने का अधिकार नहीं दिया।

अलीवर्दी खां के शासनकाल के अंतिम दिनों में अंग्रेजों ने कलकत्ता की किलेबंदी प्रारंभ कर दी, दूसरी ओर मराठा आक्रमणों ने भी इस समय नवाब को तंग किया।

इसी के समय में मराठों ने बंगाल पर आक्रमण किया और अली-वर्दी-खान से उड़ीसा छिन कर ले गए और बिहार और बंगाल की चौथ के रूप में 120000 वार्षिक तय हुआ । ये संधि 1761 में मराठा सरदार रघु जी भोंसले के साथ हुयी ।

इस आक्रमण का लाभ उठाकर अंग्रेजो ने फोर्ट विलियम के चारों ओर खाई बना दी , अलिवर्दी खान में मुग़ल बादशाह को दस्तक {3000 रुपए के बदले बंगाल में कर मुक्त व्यापार } निरस्त करने के लिये पत्र लिखा लेकिन इस पत्र का कोई भी उत्तर नहीं आया ।

1756 ई. में जलशोध की बीमारी से अलीवर्दी खां की मृत्यु हो गई।

अलीवर्दी खांं ने यूरोपियनों के बारे में कहा कि यदि उन्हें न छेङा जाये तो वे शहद देंगी और यदि छेङा जाये तो काट-2 कर मार डालेंगी।

अलीवर्दी की मृत्यु के बाद उसका नाती सिराजुद्दौला बंगाल का नवाब बना, जिसके लिए बंगाल का शासन फूलों की सेज नहीं बल्कि कांटों की सेज साबित हुआ।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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