मध्यकालीन भारतइतिहासइस्लाम धर्म

इस्लाम धर्म क्या है

इस्लाम धर्म एकेश्वरवादी धर्म है। एकेश्वरवाद को अरबी भाषा में तौहीद कहते हैं। तौहीद का अर्थ है- एक। इस धर्म के अनुसार अल्लाह के अंतिम उपदेश रसूल और नबी तथा मुहम्मद साहब द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक कुरान की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में लिखी गई है।

इस्लाम धर्म यहूदी धर्म से निकला हुआ धर्म है। 7 वी. शता. में हजरत मुहम्मद साहब ने अरब क्षेत्र में एक नया धर्म चलाया इसे मानने वाले इस्लाम थे। 622 ई. में हजरत मुहम्मद साहब ने हज यात्रा करी तथा हिजरी संवत् प्रारंभ हुआ।

यहूदी धर्म से ही ईसाई धर्म को ईसा मसिह ने स्थापित किया। इसी से मुहम्मद ने इस्लाम धर्म को स्थापित किया। जेरूशलम(इजराइल) के लोग यहूदी धर्म को मानते हैं तथा यहाँ पर यहूदी, इस्लाम व इसाई तीनों धर्मों की जन्म भूमि बताया गया है।

इस्लाम धर्म में नई बात यह थी कि इस धर्म में राजनीतिक / सामाजिक , धार्मिक दोनों स्तरों पर सर्वोच्च व्यक्ति एक ही व्यक्ति होता था।तथा वह व्यक्ति था- पैगंबर।पैगंबर की मृत्यु के बाद खलीफा राजनीतिक / सामाजिक तथा धार्मिक स्तरों पर सर्वोच्च बन गया।

इस्लाम धर्म में खलीफा – क्रमशः

चार खलीफा हुए थे जो क्रमशः इस प्रकार थे।

  1. अबूबक्र
  2. उमर
  3. उस्मात
  4. अली
  • चारों खलीफा मिलकर रशिदुन  कहलाये ये निर्वाचित थे।
  • अली के बाद खलीफा का पद वंशानुगत हो गया।

इस्लाम धर्म की शाखा-

इस्लाम धर्म की शाखाएँ थी जो खलिफाओं से संबंधित अलग – 2 मत रखते हैं जो निम्न हैं।

सुन्नी –  सुन्री लोगों का मानना है कि चारों ही खलीफा बने थे ।

शिया – शिया मुसलमानों का मानना है कि ऊपर के तीन ( अबूबक्र, उमर, उस्मात ) खलीफा धोखे से बने थे। वास्तविक खलीफा अली बने थे। 

इस्लामी धर्म ( मुसलमान ) की आस्था –

मुसलमान एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे अल्लाह कहते हैं। अल्लाह को फारसी भाषा में खुदा भी कहा जाता है। इस्लाम धर्म में ईश्वर को मनुष्य की सोच तथा समझ से बाहर माना जाता है। मुसलमानों के अनुसार ईश्वर अद्वितीय अर्थात उसके जैसा और कोई नहीं। मुसलमानों ने कहा है कि ईश्वर की कल्पना करने के बजाय उसकी प्रार्थना और जय – जयकार करो।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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