खानदेश , बरार एवं बीजापुर का इतिहास
संबंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य-
खानदेश –
खानदेश ताप्ती नदी घाटी क्षेत्र में स्थित खानदेश के स्वतंत्र मुस्लिम राज्य की स्थापना मलिक राजा फारुकी ने 1399ई. में की। मलिक राजा फारुकी वंश के नाम पर इस वंश का नाम फारुकी वंश पङा। खानदेश की राजधानी बुरहानपुर थी तथा असीरगढ का किला एक शक्तिशाली सैनिक स्कंन्धवार (सैनिक अड्डा) था। इस वंश का प्रसिद्ध शासक आदिल खान द्वितीय था। उसने गोंडवाना और गढमण्डला के हिन्दू शासकों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित की। इस वंश के सभी सुल्तानों ने खान की उपाधि धारण की। इसलिए फारुकी साम्राज्य को खानदेश (खानों का देश ) कहा जाने लगा। 1601ई. में मुगल सम्राट अकबर ने खानदेश को मुगल साम्राज्य में शामिल कर लिया।
बरार-
सबसे पहले बहमनी साम्राज्य से अलग होने वाला क्षेत्र बरार था, जिसे फतहउल्ला इमादशाह (हिन्दू से मुसलमान) ने 1484ई. स्वतंत्र घोषित करके इमादशाही वंश की नींव डाली। 1574ई. में बरार को अहमद नगर ने हङप लिया।
बीजापुर-
बीजापुर के सूबेदार यूसुफ आदिल खाँ ने 1489-90ई. में बीजापुर को स्वतंत्र घोषित करके आदिलशाही वंश की स्थापना की। आदिलशाही सुल्तान स्वयं को तुर्की के आटोमन राजवंश का वंशज मानते हैं।
बीजापुर के प्रमुख सुल्तान-
- आदिल खाँ – धार्मिक रूप से धार्मिक सहिष्णु था, परंतु शिया धर्म को तरजीह दी। वह कला और साहित्य का भी महान संरक्षक था।
- इब्राहीम आदिलशाह (1534-1558ई.) – इब्राहीम बीजापुर का पहला सुल्तान था, जिसने शाह की उपाधि धारण की और फारसी के स्थान पर हिन्दवी (दक्कनी-उर्दू) को राजभाषा बनाया और हिन्दुओं को अनेक पदों पर नियुक्त किया।
- अली आदिलशाह (1558-1580ई.)- इब्राहीम के बाद उसका पुत्र अली आदिलशाह गद्दी पर बैठा । उसका विवाह अहमदनगर के हुसैन निजाम शाह की पुत्री चाँदबीबी से हुआ था। इसे सूफी के रूप में भी जाना जाता है।
- इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय( 1580-1627ई.)- वह एक महान विद्या प्रेमी और विद्या संरक्षक था। उसकी प्रजा उसे उदार दृष्टिकोण के कारण जगत गुरु की उपाधि से संबोधित करती थी। गरीबों की सहायता करने के कारण उसे अबला बाबा अथवा निर्धनों का मित्र कहा जाता था। इस काल में सुल्तान की चाची चाँदबीबी बीजापुर की वास्तविक शासिका रही। इब्राहीम आदिलशाह ने हिन्दी संग्रह किताब-ए-नौरस की रचना की। उसी के शासन काल में फरिश्ता ने तारीख -ए-फरिश्ता नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक ग्रन्थ की रचना पूरी की। इब्राहीम ने नौरसपुर नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाई। इब्राहीम का पुत्र मुहम्मद आदिलशाह उसका उत्तराधिकारी हुआ। मुहम्मद आदिलशाह गोल गुम्बद के नाम से विश्व प्रसिद्ध मकबरे में दफन है जो विश्व का एक स्थापत्यीय आश्चर्य माना जाता है। 1686ई. में बीजापुर का एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व समाप्त हो गया जब उसे मुगल बादशाह औरंगजेब ने जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
Reference : https://www.indiaolddays.com/