इतिहासप्राचीन भारतविदेशी यात्री

मेगस्थनीज किसके शासनकाल में भारत आया था

भारत में कई विदेशी यात्री भ्रमण करने आये उन्होंने यहाँ पर कई राजाओं के दरबार में रहकर उनकी शासन व्यवस्था के बारे में देखा तथा उसे समझा । इन सभी अनुभवों को उन्होंने लिखा जिसे आज हम पढते हैं।ऐसे ही विदेशी यात्रियों में से मेगस्थनीज भी एक विदेशी यात्री था जिसके बारे में हम पढेंगे।यह एक यूनानी यात्री था।

मेगस्थनीज

  •  यह सेल्युकस निकेटर का राजदूत था ,जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था । इसको 305ई.पू. में यूनान और भारत के मध्य हुई संधि के तहत भारत आना पङा था। अपनी पुस्तक इण्डिका में मौर्ययुगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है।
  • इसने अपनी पुस्तक में पाटलीपुत्र को सबसे बङा नगर बताया है। तथा राजा के राजप्रासाद का भी बङा ही सजीव वर्णन किया है ।

मेगस्थनीज ने वर्णन किया है कि उस समय राज्य में शांति थी लोगों को घरों में चोरी का कोई डर नहीं था। तथा यह बताता है कि राजा का जीवन बङा ही एश्वर्यमय था।

परीक्षा में पूछे जाने वाली महत्त्वपूर्ण बात-    मेगस्थनीज- (304-299 ई.पू.)- मेगस्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी सम्राट सेल्यूकस के राजदूत के रूप में आया था।

इसने मौर्य कालीन भारत  के बारे में अपने अनुभवों एवं विचारों को अपनी पुस्तक इण्डिका में लेखबद्ध किया है।यद्यपि मूल पुस्तक तो अप्राप्य है किन्तु परवर्ती लेखकों-एरियन,स्ट्रैबो,प्लिनी आदि की रचनाओं में उसकी पुस्तक के कुछ अंश उद्धृत किये गये हैं।

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

मेगस्थनीज के अनुसार भारतीय समाज में सात वर्ग थे।उसने दास प्रथा का उल्लेख नहीं किया है।किन्तु सती प्रथा का उल्लेख किया है।उसके अनुसार भारतीय यूनानी देवता डायोनीसियस तथा हेराक्लीज की पूजा करते थे। वस्तुतः इससे शिव एवं कृष्ण की पूजा से तात्पर्य है।उसने लिखा है कि भारत में दुर्भिक्ष नहीं पङते थे। उसके अनुसार मौर्य काल में नगर का प्रबंध एक नगर परिषद द्वारा होता था जिसमें पाँच-2 सदस्यों वाली छः समितियाँ काम करती थी।

इसमें भारतीय पत्तनों, बंदरगाहों तथा व्यापारिक माल का वर्णन किया गया है। यह संगम युग का महत्वपूर्ण विदेशी साहित्यिक स्रोत है।

इसमें दक्षिणी भारत के पत्तनों एवं प्रथम शदाब्दी ई. में रोमन साम्राज्य के साथ  होने वाले व्यापार का विस्तृत वर्णन मिलता है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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