मध्यकालीन भारतइतिहासमुगल काल

मुगल काल में शासक वर्ग कैसा था

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अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

उमरा या अमीर वर्ग- उमरा शब्द मुगल काल में उन सभी अधिकारियों के लिए प्रयुक्त होता था। जिन्हें एक हजार या उससे अधिक मनसब का अधिकार प्राप्त होता था।

बहुजातीय एवं धार्मिक दृष्टि से सहिष्णु  उमरा परंपरा के विकास का श्रेय अकबर को ही जाता है। अकबर के शासन काल के प्रारंभिक वर्षों में अमीर वर्ग बहुत प्रभावशाली था।बैरम खाँ एवं अकबर की धाय माहम अनगा तथा उसके पुत्र आधम खाँ ने लगभग स्वतंत्र सत्ता का उपभोग किया था।

अकबर के समय में अमीरों में उजबेकों का सर्वाधिक शक्तिशाली गुट था।

सर्वप्रथम जहाँगीर के शासनकाल से ही अफगानों तथा भारतीय मुसलमानों (जिन्हें शेखजादा कहा जाता था।) को भी मुगल मनसबदारों का पद प्रदान किया जाने लगा।क्योंकि इसके पूर्व अकबर के समय तक अफगानों को बङी संख्या में मुगल सेना में भर्ती किया था।

जहाँगीर ही पहला मुगल बादशाह था जिसने सर्वप्रथम दक्षिण के मामलों में मराठों के महत्व को समझते हुए उन्हें मुगल उमरा वर्ग में शामिल करना प्रारंभ किया।

शाहजहाँ के दरबार में मराठा मनसबदारों में शाह जी भोंसले थे।

अकबर के शासन काल में हिन्दू मनसबदारों का अनुपात16प्रतिशत , शाहजहाँ के काल में 24 प्रतिशत था, जबकि औरंगजेब के समय में यह अनुपात 33प्रतिशत हो गया था।जिनमें मराठों की संख्या आधे से अधिक थी।

मुगलकाल में  विभिन्न अवसरों पर अमीरों द्वारा बादशाह को दी गयी भेंट या नजराना पेशकश कहलाता था।

मुगलकाल में उमरावर्ग की स्थिति अर्द्ध-स्वायत्त सरकार की होती थी,अतएव मुगल बादशाहों ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए नियंत्रण और संतुलन की नीति अपनाई।

मुगल बादशाहों ने राजगमिता कानून अर्थात् मरने वालों की संपत्ति को जब्त किया जायेगा।

मुगलकाल में अमीर वर्गों ने भी व्यापार में रुचि प्रदर्शित की।

शाइस्ता खां और मीर जुमला ने भी व्यापारिक रुचि प्रदर्शित की। मीरजुमला के पास एक बङा जहाजी बेङा था।

उत्तर मुगल काल में मुगल राजनीति में एक नया तत्व प्रकट हुआ।पहले सत्ता हथियाने के लिए शहजादों में झगङा होता था और अमीर किसी खास शहजादे की मदद करते थे,लेकिन अब महत्वाकांक्षी  अमीर सत्ता के प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धी बनकर सामने आये और सत्ता के शिखर पर पहुँचने के लिए शहजादों का बंधकों अथवा सीढी रूप में इस्तेमाल किया।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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