आधुनिक भारतइतिहास

नेहरू रिपोर्ट किसने तैयार की थी

जब भारतीय साइमन कमीशन का बहिष्कार कर रहे थे। तो उस समय भारत सचिव ने भारतीय नेताओं को यह चुनौती दी थी, कि यदि वे विभिन्न संप्रदायों की सहमति से एक संविधान तैयार कर सकें तो इंग्लैण्ड की सरकार उस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को तैयार रहेगी।

काँग्रेस ने इस चुनौती को स्वीकार किया।28 फरवरी,1928 को दिल्ली में एक सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया।इस सम्मेलन में कुछ मौलिक बातों को तय करने के बाद 10 मई, 1928 को बंबई में इसकी दुबारा बैठक बुलाई, जहाँ पर भारत के संविधान का मसविदा तैयार करने के लिये मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में 8 व्यक्तियों की एक समिति नियुक्त की गई।

इस समिति ने जो रिपोर्ट तैयार की, उसे नेहरू रिपोर्ट कहते हैं।

नेहरू रिपोर्ट की बातें निम्नलिखित थी-

  • तात्कालिक लक्ष्य के रूप में भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाये।केन्द्र व प्रांतों में पूर्ण उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाये। कार्यकारिणी को विधान मंडल के प्रति उत्तरदायी बनाया जाये।
  • भारत में संघीय व्यवस्था लागू की जाये। संघीय आधार पर शक्तियों का बँटवारा किया जाये।अवशिष्ट शक्तियाँ केन्द्र के पास रखी जाएँ।
  • सांप्रदायिक चुनाव पद्धति तथा अधिप्रतिनिधित्व (आबादी से अधिक स्थान) को अस्वीकृत कर दिया जाये। किन्तु अल्पमतों को सांस्कृति स्वायत्तता, रक्षा आदि गारंटियों द्वारा सुरक्षा प्रदान करने की सिफारिश की गई।
  • सिंध को बंबई से अलग किया जाये तथा उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत को दूसरे प्रांतों के समान दर्जा दिया जाये।
  • भारत सरकार की कानूनी शक्तियाँ संसद के पास रहेंगी, जो सम्राट,सीनेट और प्रतिनिधि सभा से मिलकर बनेंगी।प्रतिनिधि सभा तथा प्रांतीय विधान परिषदों के चुनाव में 22 वर्ष या अधिक आयु वाले उस व्यक्ति को भाग लेने का अधिकार होगा, जो कानून द्वारा अयोग्य घोषित न किया गया हो।
  • भारत की कार्यकारिणी शक्ति सम्राट के पास रहेगी। वह शक्ति गवर्नर-जनरल द्वारा सम्राट के प्रतिनिधि की हैसियत से कानून और संविधान के अनुसार प्रयोग की जायेगी।गवर्नर-जनरल की कार्यकारिणी परिषद् में प्रधानमंत्री और छः अन्य मंत्री होंगे।प्रधानमंत्री की नियुक्ति गवर्नर-जनरल द्वारा होगी और प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति होगी। कार्यकारिणी परिषद् सामूहिक रूप से संसद को प्रति उत्तरदायी होगी।
  • एक प्रतिरक्षा समिति बनाई जायेगी।प्रतिरक्षा संबंधी व्यय की स्वीकृति प्रतिनिधि सभा से लेनी होगी।किन्तु भारत पर विदेशी आक्रमण होने या इसकी सम्भावना होने पर केन्द्रीय कार्यकारिणी को किसी भी धनराशि के खर्च करने का अधिकार होगा।
  • प्रिवी कौंसिल की तमाम अपीलें बंद करके भारत में उच्चतम न्यायालय स्थापित किया जाये। जो संविधान की व्याख्या करेगा तथा प्रांतीय झगङों पर निर्णय देगा।

जब यह रिपोर्ट विभिन्न दलों की अलग-2 बैठकों में सामने आई, तब अनेक दलों ने इस पर सांप्रदायिक दृष्टिकोण से विचार करना आरंभ कर दिया।

मुस्लिम लीग में इस रिपोर्ट पर काफी मतभेद था। अली बंधुओं( मोहम्मद अली और शौकत अली ) ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार करने के लिए विभिन्न प्रांतीय मुसलमान संगठनों को प्रोत्साहित किया।

मोहम्मद अली जिन्ना इसमें कुछ ऐसे मौलिक परिवर्तन चाहते थे, जिससे इसका स्वरूप ही बदल जाये। जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट के मुकाबले में अपनी चौदह शर्तें पेश की।

स्वयं काँग्रेस में भी काफी मतभेद उत्पन्न हो गया। दिसंबर,1928 में कलकत्ता कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू व सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में युवक दल इस रिपोर्ट को केवल पूर्ण स्वतंत्रता के आधार पर स्वीकार करना चाहता था।

किन्तु गाँधाजी के बीच-बचाव करने पर नेहरू रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया। इस अधिवेशन में यह भी तय किया गया कि, यदि ब्रिटिश संसद 31 दिसंबर, 1929 तक या इससे पहले इस रिपोर्ट को अस्वीकार नहीं करती है। तो पूर्ण स्वतंत्रता राष्ट्रीय लक्ष्य हो जायेगा। तथा अंग्रेज सरकार द्वारा नेहरू रिपोर्ट अस्वीकृत हो जाने पर सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया जायेगा।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!