इतिहासप्राचीन भारतसिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु सभ्यता के स्थल,निर्माता,काल निर्धारण,आयात की वस्तुएं, पतन के कारण

  • हङपा(मांटगोमरी जिला, पंजाब, पाकिस्तान )- इस स्थल का उत्खनन 1921ई. में दयाराम साहनी द्वारा करवाया गया।
  • मोहनजोदङो (सिंध का लरकाना जिला, पाकिस्तान)- 1922ई. में राखलदास बनर्जी द्वारा उत्खनन का कार्य करवाया  गया।
  • सुत्कागेंडोर ( ब्लूचिस्तान,पाकिस्तान)- 1927ई. में आर. एल. स्टाइन द्वारा उत्खनन का कार्य करवाया गया।
  • चन्हूदङो (सिंध, पाक.)- 1931ई. में एम. जी . मजूमदार ने उत्खनन का कार्य करवाया गया ।
  • रंगपुर (अहमदाबाद,काठियावाङ, भारत)- इस स्थल की खुदाई वर्ष 1953-1954 में ए. रंगनाथ राव द्वारा की गई थी।
  • कोटदीजी(सिंध-पाक.)- 1953ई. में  फजल अहमद द्वारा उत्खनन का कार्य करवाया गया।
  • रोपङ(पंजाब-भारत)-1950 में इसकी खोज ‘बी.बी.लाल’ ने की थी।1953 ई. में यज्ञदत्त शर्मा के दिशानिर्देशन में उत्खनन का कार्य किया गया।
  • कालीबंगा(हनुमानगढ, राजस्थान, भारत)- 1953 में ‘बी.बी. लाल’ एवं ‘बी. के. थापड़’ द्वारा खुदायी करायी गयी। 
  • लोथल(अहमदाबाद,गुजरात,भारत)-1955ई. में ‘रंगनाथ राव’ के निर्देशन में उत्खनन  का कार्य किया गया।
  • आलमगीरपुर(मेरठ, उत्तरप्रदेश, भारत)-1958 ई. में यज्ञ दत्त शर्मा के दिशानिर्देशन में उत्खनन का कार्य किया गया।
  • सुरकोटडा (कच्छ, गुजरात ,भारत)- 1972ई. में जगपति जोशी द्वारा उत्खनन का कार्य करवाया गया।
  • बनवाली (हिसार,हरियाणा,भारत)- 1973ई. में आर.एस.विष्ट के निर्देशन में उत्खनन का कार्य किया गया।
  • धौलावीरा (कच्छ, गुजरात, भारत)- 1990ई. में आर.एस. विष्ट के निर्देशन में उत्खनन का कार्य करवाया गया।
  • सैंधव सभ्यता के निर्माता- 
    • डॉ. लक्ष्मण स्वरूप के अनुसार सिंधु सभ्यता के निर्माता आर्य थे।
    • गार्डन चाइल्ड के अनुसार सिंधु सभ्यता  के निर्माता सुमेरियन थे।
    • राखलदास बनर्जी के अनुसार सिंधु सभ्यता के निर्माता द्रविङ थे।
    • ह्लीलर के अनुसार सिंधु सभ्यता के निर्माता दस्यु-दास थे।
  • सिंधु सभ्यता के स्थलों की स्थिति –
    • हङपा नामक नगर रावी नदी के तट पर स्थित था।
    • मोहनजोदङो नगर सिंधु नदी के तट पर स्थित था।
    • रोपङ सतलज नदी के किनारे पर स्थित था।
    • मांडा स्थल चिनाब नदी के तट पर स्थित था।
    • कालीबंगा घग्घर नदी (सरस्वती) के तट पर स्थित था।
    • लोथल भोगवा नदी के तट पर स्थित था।
    • सुत्कागेंडोर दाश्क नदी के तट पर स्थित था।
    • आलमगीरपुर हिन्डन नदी के तट पर स्थत था।
    • रंगपुर माडर नदी के तट पर स्थित था।
    • कोटदीजी सिंधु नदी के तट पर स्थित था।
    • बनवाली घग्घर नदी के तट पर स्थित था।
    • चन्हुदङो सिन्धु नदी के तट पर स्थित था।

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  • सैंधव सभ्यता में आयात की वस्तुएं-
    • टिन नामक धातु का आयात ईरान , मध्य एशिया , अफगानिस्तान  से किया जाता था।
    • स्वर्ण का आयात अफगानिस्तान, दक्षिणी भारत ( कर्नाटक) से होता था।
    • फिरोजा का आयात ईरान से होता था।
    • नील रत्न का आयात अफगानिस्तान से होता था।
    • चांदी का आयात ईरान, अफगानिस्तान से होता था।
    • लाजवर्द का आयात मेसोपोटामिया से होता था।
    • सीसा का आयात ईरान , दक्षिणी भारत , अफगानिस्तान से होता था।
    • शंख एवं कौङियों का आयात दक्षिणी भारत से किया जाता था।
  • सैंधव सभ्यता का काल निर्धारण-
    • सर जॉन मार्शल के अनुसार सिंधु सभ्यता का काल 3250ई.पू.से 2750ई.पू.था।
    • अर्नेस्ट मैके ने सिंधु सभ्यता का काल 2800ई.पू.से 2500ई.पू.माना है।
    • माधो स्वरूप वत्स ने इस सभ्यता का काल 3500 ई.पू. से 2700ई.पू. माना है।
    • सी.जे.गैड के अनुसार सिंधु सभ्यता का काल 2350ई.पू. से 1700ई.पू. माना है।
    • मार्टीमर ह्लीलर ने इस सभ्यता का काल निर्धारण 2500ई.पू. से 1500ई.पू. माना है।
    • फेयर सर्विस के अनुसार सिंधु सभ्यता का काल 2000ई.पू. से 1500 ई.पू. माना है।
    • रेडियो कार्बन (C14) पद्धति के अनुसार (सर्वमान्य तिथि ) सिंधु सभ्यता का काल 2500ई.पू. से 1750ई.पू.  है।
    • N.C. E.R.T के अनुसार  सिंधु सभ्यता का काल 2600-1800 ई.पू. है।
  • सैंधव सभ्यता के पतन के कारण –
    • पुरात्तववेता गार्डन चाइल्ड, ह्लीलर के अनुसार आर्यों के आक्रमण,भयंकर बाढ के कारण सिंधु सभ्यता का पतन हुआ।
    • सर जॉन मार्शल , मैके , एस आर.राव के अनुसार प्राकृतिक आपदा के कारण सिंधु सभ्यता का विनाश हुआ।
    • स्टाइन , ए.एन.घोष के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण इस सभ्यता का पतन हुआ।
    • एम.आर.साहनी के अनुसार भू-तात्विक परिवर्तन के कारण हङपा सभ्यता का पतन हुआ।
    • सर जॉन मार्शल के  अनुसार प्रशासनिक शिथिलता के कारण सिंधु सभ्यता का विनाश हुआ।
    • सैंधव सभ्यता में प्राप्त परिपकव अवस्था वाले स्थलों में केवल : को ही नगर की संज्ञा दी गई है, ये हैं-         *  हङपा
      • मोहनजोदङो
      • चन्हूदङो
      • लोथल
      • कालीबंगा
      • बनवाली
    • सर्वप्रथम सर जॉन मार्शल ने वृहद स्नानागार की खोज की।यह स्नानागार मोहनजोदङो से मिला है।
    • मोहनजोदङो
      • मोहनजोदङो से प्राप्त अन्नागार सैंधव सभ्यता की सबसे बङी इमारत थी।
      • मोहनजोदङो से कांसे की बनी एक नर्तकी की मूर्ति मिली है।
      • मोहनजोदङो से 5 बेलनाकार मुद्राएं मिली हैं।
      • मोहनजोदङों से प्राप्त किसी भी बर्तन पर लेख नहीं मिला है।
      • मोहनजोदङो के उत्खनन में सात पर्त मिली हैं जिनसे ज्ञात होता है कि यह नगर सात बार बसाया गया होगा।
      • मोहनजोदङो से कुछ अश्वों की हड्डियाँ  प्राप्त हुई हैं।
      • मोहनजोदङो की खुदाई में बुने हुए सूती कपङे का टुकङा मिला है।
      • मोहनजोदङो से घोङे का दांत , लोथल से घोङे की  लघु मृण्मूर्तियां तथा सुरकोटङा से घोङे की अस्थियों के अवशेष मिले हैं।
      • मोहनजोदङों का आकार एक वर्ग मील है जो कि पश्चिमी और पूर्वी दो खंडों में विभाजित है। पश्चिमी खंड पूर्वी खंड की तुलना में छोटा है।
      • एक शील पर तीन मुख वाले देवता पशुपतिनाथ ( शिव) की मुर्ति मिली है जिस पर 4 पशु – भैंसा,गेण्डा,चीता औऱ हाथी हैं।
      • मोहनजोदङो से शवों को  जलाने  के साक्ष्य मिलते हैं। जबकि हङपा से शवों को  दफनाने के साक्ष्य मिलते हैं।
      • अपवादस्वरुप मोहनजोदङो की सङके पक्की ईंटों से बनी हैं।
      • मोहनजोदङो से पत्थर की मूर्ति पर तिपतिया शॉल है(तीन पत्तियों वाला)।
      • सर्वाधिक मोहरे मोहनजोदङो से मिली हैं।
    • लोथल
      • लोथल से एक शव प्राप्त हुआ है जो कब्र में करवट लिए हुए लिटाया गया है, शव का सिर पूरब तथा पैर पश्चिम दिशा में हैं।
      • लोथल से एक कब्र प्राप्त हुई है जिसमें दो शव एक दूसरे से लिपटे हुए हैं।
      • लोथल और कालीबंगा से अग्निकुण्ड प्राप्त हुए हैं।
      • लोथल से गोदी के अवशेष मिले हैं।
      • लोथल से एक तराजू प्राप्त हुआ है।
      • लोथल से  मुहर  पर एक जलयान का चित्रण प्राप्त हआ है।
      • लोथल से फारस की मोहरें मिली हैं।
      • चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से मिले हैं।
    • कालीबंगा
      • जुते हुए खेत का प्रथम साक्ष्य प्राक् सैंधवकालीन पुरास्थल कालीबंगा से मिला है।
      • कालीबंगा के उत्खनन में निचली सतह से पूर्व में सिंधु सभ्यता और ऊपरी सतह से भी सिंधु सभ्यता के अवशेष मिले हैं।तथा फर्श में अलंकृत ईंटों का प्रयोग केवल कालीबंगा में ही हुआ है।
      • कालीबंगा से मिट्टी के बर्तन के एक टुकङे पर सूती वस्र की छाप मिली है
    • चन्हूदङो
      • चन्हूदङो से प्राप्त एक पात्र में जला हुआ एक कपाल मिला है।
      • चन्हूदङो से मनके बनाने का कारखाना प्राप्त हुआ है।
    • वर्तमान में हङपा सभ्यता का सबसे बङा  एवं नवीन नगर धौलावीरा है (गुजरात) प्रारंभ में मोहनजोदङो था।
    • भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता का सर्वाधिक उपयुक्त नाम है ?
    • (A)सिंधु घाटी सभ्यता                                                                                      (B)सरस्वती सिंधु सभ्यता
    • (C)  हङपा सभ्यता                                                                                          (D)वैदिक सभ्यता
    • उत्तर – ( C ) हङपा सभ्यता
    • लोथल तथा सुरकोटडा (गुजरात) हैं जो सिंधु सभ्यता के बंदरगाह थे।
    • हङपा सभ्यता की स्थिति – क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर
      • रंगनाथन के अनुसार- उत्तर -दक्षिण में 1400 किलोमीटर तथा पूर्व से पश्चिम में1600 किलोमीटर
      • उत्तर में  – मांदा (कश्मीर) चिनाब नदी के तटपर
      • दक्षिण में –  दैमाबाद (महाराष्ट्र) गोदावरी नदी के तट पर स्थित
      • पूर्व में  – आलमगीरपुर (उत्तरप्रदेश) हिण्डन के तट पर
      • पश्चिम में –  सुत्केगेण्डोर (ब्लूचिस्तान) दाश्क नदी के तट पर

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