मध्यकालीन भारतइतिहासभक्ति आंदोलन

संत रविदास ( रैदास ) से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

  1. दादू दयाल कौन थे
  2. भक्ति आंदोलन क्या था, इसके कारण तथा प्रमुख संत

रैदास नाम से विख्यात संत रविदास का जन्म सन् 1388 (इनका जन्म कुछ विद्वान 1398ई. में हुआ भी बताते हैं) को बनारस में हुआ था। रैदास कबीर के समकालीन हैं।

रैदास की ख्याति से प्रभावित होकर सिकंदर लोदी ने इन्हें दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा था।

उनके पिता का नाम संतोख दासऔर माता का नाम कलसा देवी बताया जाता है। रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। जूते बनाने का काम उनका पैतृक व्यवसाय था और उन्होंने इसे सहर्ष अपनाया। वे अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।

ये रामानंद के अति प्रसिद्ध शिष्यों में से एक थे। ये जन्म से चमार थे लेकिन इनका धार्मिक जीवन जितना गूढ था, उतना ही उन्नत और पवित्र था।

सिक्खों के गुरू ग्रंथ साहिब में संग्रहित रविदास के तीस से अधिक भजन हैं। रविदास के अनुसार मानव सेवा ही जीवन में धर्म की सर्वोत्कृष्ट अभिव्यक्ति का माध्यम है।

उनकी समयानुपालन की प्रवृति तथा मधुर व्यवहार के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले लोग भी बहुत प्रसन्न रहते थे।

प्रारम्भ से ही रविदास जी बहुत परोपकारी तथा दयालु थे और दूसरों की सहायता करना उनका स्वभाव बन गया था। साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष आनन्द मिलता था। वे उन्हें प्राय: मूल्य लिये बिना जूते भेंट कर दिया करते थे। उनके स्वभाव के कारण उनके माता-पिता उनसे अप्रसन्न रहते थे। कुछ समय बाद उन्होंने रविदास तथा उनकी पत्नी को अपने घर से भगा दिया। रविदास जी पड़ोस में ही अपने लिए एक अलग इमारत बनाकर तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

Related Articles

error: Content is protected !!