मध्यकालीन भारतइतिहासदिल्ली सल्तनत

सल्तनत काल की भूराजस्व व्यवस्था

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दिल्ली सल्तनत काल में कर व्यवस्था शरीयत के आधार पर  निर्धारित थी। शरीयत के अनुसार  4 प्रकार के करों का उल्लेख मिलता है। जिनका विवरण निम्नलिखित है-

  1. खराज- यह भूराजस्व  कर था जो हिन्दू किसानों से वसूला जाता था। इसकी दर 1/4 से 1/3 तक थी।( 25% से 33% तक )                                                                                                                                             Note : अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने खराज को बढाकर 1/2 (50% ) तक कर दिया । (सर्वाधिक)  उस्र- यह भी खराज की तरह ही भूराजस्व कर है जो मुस्लिम किसानों  से लिया जाता था। इसकी दर खराज की तुलना में कम होती थी।
  2. खुम्स/खम्स- युद्ध से प्राप्त लूट तथा भूमि में गङा खजाना तथा खानों से प्राप्त आय का बंटवारा सुल्तान के लिये 1/5 (20%) तथा संबंधित व्यक्ति के लिये 4/5 (80% ) था।                                      Note : अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने इस खुम्स के अनुपात को उल्टा कर दिया था। सुल्तान  का भाग 4/5( 80 %) तथा संबंधित व्यक्ति का 1/5 ( 20% ) भाग था।
  3. जजिया- यह एक गैर धार्मिक कर था। जो गैर मुस्लिम जनता से सल्तनत द्वारा सुरक्षा के नाम पर वसूला जाता था। जजिया देने वाली जनता जिम्मी कहलाती थी। शरीयत में जजिया कर से मुक्ति – महिलाओं, बच्चों , बेरोजगारों, विकलांगों, भीक्षुओं के लिए थी (ब्राह्मणों के लिये जजिया कर था।) Note : फिरोज तुगलक ने पहली बार ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया था,जो सभी करों से मुक्त थे। 
  4. जकात(सदका)- यह एक धार्मिक कर था, जो मुस्लिम अमीरों की आय व संपत्ति पर 2.5%  के रूप में लगता था। इस कर से प्राप्त आय का खर्चा इस्लाम धर्म के विकास के लिये किया जाता था।

भूराजस्व पद्दतियां-

सल्तनत काल में अनुमान आधारित पद्दतियां थी। – इस  अनुमान आधारित पद्दति के अधीन अनेक पद्दतियां थी जो इस प्रकार हैं-

  • बटाई -इसे गल्ला बक्शी (बटाई/भाओली पद्दति), किस्मत ए आला, हासिल आदि नामों से भी जाना जाता था।
  • मसाहत– इसमें भूमि की पैमाइश  के आधार पर उपज का निर्धारण किया जाता था। यह प्रणाली अलाउद्दीन खिलजी ने प्रारंभ की थी।
  • मुक्ताई – यह लगान निर्धारण की एक मिश्रित प्रणाली थी। यह प्रणाली हिस्सा बांट प्रणाली पर आधारित थी।

गल्ला बक्शी पद्दति(बटाई)- इस पद्दति के 3 भाग हैं-

  • खेत बंटाई- कर बसूली करने वाले अधिकारियों द्वारा खेत में खङी फसल को देखकर अनुमान के आधार राज्य का हिस्सा तय किया जाता था। यह पद्दति उत्तरप्रदेश, बिहार आदि क्षेत्रों में प्रचलित थी।
  • लंक बटाई- फसल कटने के बाद भूसा सहित अनाज के गठरों का बंटवारा किया जाता था।
  • रास/राशि बंटाई- भूसे से अनाज निकालने के बाद राज्य का हिस्सा निर्धारित किया जाता था।

इन तीनों में से कोई एक पद्दति लागू होती थी। सल्तनत काल में एक बङे भू-भाग पर अनुमान आधारित पद्दति प्रचलित थी।

Note: पहली बार अलाउद्दीन खिलजी ने भूमि की पैमाइश करवाकर कर की वसूली करी थी।इसकी भूराजस्व पद्दति को मसाहत पद्दति कहते हैं। अलाउद्दीन ने इसमें जरीब का प्रयोग किया था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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