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रैले कमीशन 1902 क्या था

रैले कमीशन

वायसराय लार्ड कर्जन ने शिक्षा से संबंधित मैकाले की योजना की आलोचना की। कर्जन द्वारा शिक्षा में लाने वाले परिवर्तनों का उद्देश्य राजनीतिक अधिक शैक्षणिक कम था। 1901में कर्जन ने भारत के उच्चतम शिक्षा और विश्वविद्यालय अधिकारियों का एक सम्मेलन शिमला में बुलाया,सम्मेलन में पारित प्रस्ताव शिमला प्रस्ताव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

शिमला सम्मेलन में पारित प्रस्तावों की तीखी आलोचना से विवश होकर कर्जन ने 1902 में थामस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।

1904 में पारित भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं-

  • विश्वविद्यालय के उपसदस्यों की संख्या 50 से न्यून तथा 100 से अधिक नहीं होना चाहिए जिनका कार्यकाल 6 वर्ष का होगा। उप सदस्य को सरकार द्वारा चुना जाना था।
  • विश्ववद्यालयों का अध्ययन तथा शोध के लिए प्रोफेसर और लेक्चरर की नियुक्ति करनी चाहिए।
  • विश्वविद्यालय पर सरकारी नियंत्रण बढ गया, सरकार को विश्वविद्यालय की सेनेट द्वारा पारित प्रस्ताव पर वीटो (निषेधाधिकार) का अधिकार दिया गया।
  • इस अधिनियम द्वारा अशासकीय कालेजों पर सरकारी नियंत्रण कठोर हो गया, सिंडीकेट को समय-2 पर कालेजों के निरीक्षण का अधिकार मिल गया।
  • गवर्नर-जनरल को विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय सीमा निर्धारित करने का अधिकार मिल गया।
  • कालेजों को विश्वविद्यालय से संबंधित करने का अधिकार सरकान ने अपने जिम्मे ले लिया।

कर्जन के विश्वविद्यालय अधिनियम की ओलोचना करते हुए कुछ आलोचकों ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय संसार में सबसे अधिक पूर्णतया सरकारी विश्वविद्यालय बन गये हैं।

कर्जन के समय कृषि विभाग,पुरातत्व विभाग, की स्थापना की गई साथ ही 1904 के प्राचीन स्मारक,अभिलेख संरक्षण अधिनियम को पारित करने में सहायता दी गई।

भारत में शिक्षा महानिदेशक की नियुक्ति कर्जन के समय में ही हो गई थी। इस स्थान को ग्रहण करने वाला प्रथम अधिकारी एच.डब्ल्यू.ऑरेन्ज था।

Reference :https://www.indiaolddays.com/

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