किसान आन्दोलन
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में जिन लोगों ने शीर्ष स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, उनमें आदिवासियों, जनजातियों और किसानों का अहम योगदान रहा है।
स्वतंत्रता से पहले किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में जो आंदोलन किए वे गांधीजी के प्रभाव के कारण हिंसा और बरबादी से भरे नहीं होते थे, लेकिन अब स्वतंत्रता के बाद जो किसानों के नाम पर आंदोलन या उनके आंदोलन हुए वे हिंसक और राजनीति से ज्यादा प्रेरित थे।
- फरवरी- 2019 -28 फ़रवरी
20 वी. शता. के किसान आंदोलन
1858 से 1914 के बीच हुए किसान विद्रोह एक-दूसरे से असंबद्ध या बिखरे हुए थे। किसान संघर्ष एवं आंदोलनों को…
Read More » - 27 फ़रवरी
19 वी. शता. के प्रमुख किसान विद्रोह एवं आंदोलन
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में जिन लोगों ने शीर्ष स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, उनमें आदिवासियों, जनजातियों और किसानों…
Read More » - 15 फ़रवरी
पाबना विद्रोह(1873-76)का इतिहास
1870 से 1880 के बीच का दशक बंगाल के लिए किसान आंदोलनों का दशक था। पावना क्षेत्र जो पटसन की…
Read More » - 14 फ़रवरी
नील विद्रोह कहाँ हुआ था
नील विद्रोह(1859-60) नील विद्रोह(neel-rebellion) किसानों द्वारा किया गया एक आन्दोलन था जो बंगाल के किसानों द्वारा सन् 1859में किया गया था।यह विद्रोह 1857…
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