परमार वंश
- दिसम्बर- 2019 -17 दिसम्बर
नवसाहसांकचरित नामक पुस्तक की रचना किसने की
नवसाहसांकचरित( navasaahasaankacharit ) प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है। नवसाहसांकचरित के रचयिता पद्मगुप्त परिमल(Padmagupta parimal) थे।
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परमार वंश के राजनैतिक इतिहास का वर्णन
परमार वंश की स्थापना 10 वीं शता. ईस्वी के प्रथम चरण में उपेन्द्र अथवा कृष्णराज नामक व्यक्ति ने की थी।…
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परमार भोज के उत्तराधिकारी तथा परमार सत्ता का अंत
नरवर्मा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र यशोवर्मा (1133-1142 ईस्वी) हुआ। उसके समय चालुक्यों के आक्रमण के कारण मालवा की स्थिति काफी…
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परमार शासक भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ
भोज स्वयं विद्वान था तथा उसकी उपाधि कविराज की थी। उसने ज्योतिष, काव्य शास्र, वास्तु आदि विषयों पर महत्त्वपूर्ण ग्रंथों…
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मालवा के परमार शासक भोज का इतिहास
उदयपुर प्रशस्ति से हमें भोज की राजनैतिक उपलब्धियों के बारे में सूचना प्राप्त होती है। इस प्रशस्ति के अनुसार भोज…
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परमार वंश का पतन क्यों हुआ था
भोज अपने जीवन के अंतिम दिनों में अपने साम्राज्य की रक्षा नहीं कर सका तथा उसे भारी असफलताओं का सामना…
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परमार राजा भोज के द्वारा किये गये युद्ध एवं विजयें
भोज का सर्वप्रथम संघर्ष कल्याणी के चालुक्यों के साथ हुआ। प्रारंभ में उसे सफलता मिली। तथा गोदावरी नदी के आस-पासका…
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परमार वंश के सिंधुराज का इतिहास
नवसाहसांकचरित से पता चलता है, कि सिंधुराज ने कुंतलेश्वर द्वारा अधिग्रहीत अपने राज्य को तलवार के बल पर पुनः अपने…
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परमार वंश के शासक वाक्पति मुंज का इतिहास
प्रबंधचिंतामणि में उसके जन्म के विषय में एक अनोखी कथा मिलती है। इस कथा के अनुसार सीयक को बहुत दिन…
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स्वतंत्र परमार साम्राज्य की स्थापना : हर्ष अथवा सीयक द्वितीय (945 – 972 ईस्वी)
इस समय प्रतिहार साम्राज्य पतन की अवस्था में था। इस स्थिति का लाभ उठाते हुये सीयक ने मालवा तथा गुजरात…
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