इतिहासप्राचीन भारतशाकंभरी का चौहान वंश

चौहान शासक अर्णोराज का इतिहास

चौहान शासक अजयराज का उत्तराधिकारी उसका पुत्र अर्णोराज हुआ, जिसने 1130 ईस्वी से लेकर 1150 ईस्वी तक शासन किया। लेखों में उसे महाराजाधिराज, परमेश्वर, परमभट्टारक की उपाधि प्रदान की गयी है। इन उपाधियों से पता चलता है, कि वह एक शक्तिशाली राजा था।

पृथ्वीराजविजय से पता चलता है, कि उसने अजमेर पर आक्रमण करने वाले तुर्क शासक को पराजित किया तथा उसकी सेना का संहार किया। दुर्भाग्यवश इस तुर्क आक्रांता का नाम हमें पता नहीं है।

हमें पता चलता है,कि अजमेर में इस विजय पर भारी हर्षोल्लास हुआ तथा राजा ने उस स्थान पर जहाँ तुर्क सैनिक मारे गये थे, की शुद्धि के लिये एक झील का निर्माण करवाकर चंद्रा नदी का जल उसमें भरवा दिया था।

बिजोलिया लेख से पता चलता है,कि उसने मालवा पर आक्रमण कर परमार नरेश नरवर्मा को पराजित किया था। इसमें पराजित परमार नरेश का नाम निर्वाणनारायण दिया गया है, जो नरवर्मा की उपाधि थी। अजमेर लेख में कहा गया है, कि अर्णोराज ने पराजित मालवराज के हाथियों पर बलपूर्वक अधिकार कर लिया। वह शैवमतानुयायी था तथा पुष्करतीर्थ में उसने वाराह मंदिर का निर्माण करवाया था। वृद्धावस्था में वह अपने बङे पुत्र जगदेव द्वारा मार डाला गया।

अर्णोराज के चार पुत्रों में सबसे शक्तिशाली विग्रहराज चतुर्थ था, जिसने अपने अन्य भाईयों को अपदस्थ कर गद्दी प्राप्त की।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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