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क्रिप्स प्रस्ताव (मिशन)कब आया था

अंग्रेजों द्वारा कांग्रेस की मांगों को पूरा न करने के कारण, ब्रिटिश सरकार को युद्ध में सहायता न देने के लिए महात्मा गाँधी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाया था।किन्तु जापान की बढती हुई प्रगति देखकर महात्मा गांधी ने 30 दिसंबर,1941 को इस आंदोलन को कांग्रेस के नेतृत्व से मुक्त कर दिया।

इस आंदोलन का प्रभाव अन्य देशों की जनता पर पङा। इंग्लैण्ड में भी यह भावना प्रबल होने लगी कि भारतीयों को कुछ अधिकार दिये बिना उनका सहयोग प्राप्त नहीं किया जा सकता।

इधर 1942 के आरंभ तक जापान ने सिंगापुर, मलाया,इंडोनेशिया,अंडमान तथा निकोबार द्वीपों को जीत लिया था। 8 मार्च, 1942 को जापान ने रंगून पर अधिकार कर लिया। जापान ने यह भी प्रचार आरंभ कर दिया था, कि वह भारत को अंग्रेजी नियंत्रण से मुक्त करवाने आ रहा है। इससे ब्रिटिश सरकार बहुत घबराई, क्योंकि रंगून पर जापानियों का अधिकार हो जाने से भारत पर आक्रमण स्पष्ट दिखाई देने लगा था।

अतः 11 मार्च, 1942 को चर्चिल ने घोषणा की कि भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक योजना तैयार की है और इस हेतु सर स्टेफोर्ड क्रिप्स (Sir Stafford Crips)को भारत भेजा जायेगा।

स्टेफर्ड क्रिप्स 23 मार्च, 1942 को दिल्ली पहुँचा। वह कांग्रेस,मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, हरिजनों,राजाओं और उग्रवादियों के प्रतिनिधियों से मिला और तत्पश्चात् 30 मार्च, 1942 को अपने प्रस्तावों की घोषणा कर दी।

क्रिप्स के कुछ प्रस्ताव युद्ध के बाद लागू होने थे और कुछ प्रस्ताव तत्काल लागू होने थे। युद्ध के बाद लागू होने वाले प्रस्ताव में कहा गया था कि युद्ध के बाद भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा गठित की जायेगी, जिसमें भारतीय रियासतों के प्रतिनिधि भी होंगे। नये संविधान को लागू करने की निम्न दो शर्तें होंगी-

  1. ब्रिटिश भारत के जिन प्रांतों को नवीन संविधान पसंद नहीं होगा वे अपनी वर्तमान संवैधानिक स्थिति को कायम रख सकेंगे।जो प्रांत नये संविधान को मानने और भारतीय संघ में शामिल होने के लिए तैयार नहीं होंगे, उन्हें भी अपने लिए नया संविधान बनाने का अधिकार होगा और इसकी स्थिति भी भारतीय संघ की तरह होगी।
  2. ब्रिटिश सरकार और संविधान सभा के बीच एक संधि होगी, जिसमें ब्रिटिश सरकार द्वारा अल्पसंख्यक वर्गों को उनकी रक्षा करने का आश्वासन दिया गया होगा।यदि कोई भारतीय राज्य नये संविधान को स्वीकार करना चाहे तो उसे भी ब्रिटिश सरकार के साथ नई संधि करनी पङेगी।

संविधान सभा के निर्वाचन के संबंध में कहा गया कि प्रांतीय विधान मंडलों के निचले सदन के सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव करेंगे। संविधान सभा के सदस्यों की संख्या चुनने वाली विधान सभाओं की कुल सदस्य संख्या का दसवाँ भाग होगी।

क्रिप्स प्रस्ताव से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • द्वितीय महायुद्ध में मित्र राष्ट्रों की कमजोर हो रही स्थिति के कारण ब्रिटेन पर इस बात का दबाव बढने लगा, कि वह भारत की जनता के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करे।
  • अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट,आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ईवार तथा चीनी राष्ट्रपति भारतीयों का युद्ध में सहयोग प्राप्त करने के लिए बात-चीत करें।
  • रंगून (बर्मा) के पतन के तीन दिन बाद विंस्टन चर्चिल ने घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार भारत के राजनैतिक और वैधानिक गतिरोध को दूर करने के लिए युद्ध कालीन मंत्रिमंडल के सदस्य स्टैफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में एक मिशन भारत भेजेंगे।
  • स्टैफ्रड क्रिप्स भारत के शुभचिंतकों तथा स्वतंत्रता के पक्षधारियों में एक थे, वे व्यक्तिगतरूप से समाजवादी थे और भारत के कई नेताओं से उनके मैत्री संबंध थे।
  • स्टैफर्ड क्रिप्स ने 22 मार्च, 1942 को भारत पहुंच कर एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसकी प्रमुख शर्तें इस प्रकार थी-

युद्ध के बाद एक भारत को डोमेनियन स्टेट का दर्जा दिया जायेगा जो किसी घरेलू या बाहरी सत्ता के अधीन नहीं होगा और यदि वह चाहेगा तो ब्रिटिश राष्ट्र मंडल से संबंध विच्छेद कर सकेगा।

युद्ध के बाद एक संविधान निर्मात्री परिषद बनेगी, जिसमें ब्रिटिश भारत और देशी रजवाङों, दोनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिसमें कुछ सदस्यों को प्रांतीय विधायिकाओं द्वारा तथा कुछ को शासकों द्वारा मनोनीत किया जाना था।

ब्रिटिश, भारत को कोई भी प्रांत यदि नये संविधान को स्वीकार करना न चाहे तो उसे वर्तमान सांविधानिक स्थिति बनाये रखने का अधिकार होगा, नये संविधान को स्वीकार न करने वाले प्रांतों को सम्राट की सरकार अलग से एक नया संविधान देने को तैयार थी।

युद्ध के दौरान एक कार्यकारी परिषद का गठन किया जायेगा, जिसमें भारतीय जनता के मुख्य-2 वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, लेकिन ब्रिटिश भारत की सरकार के पास ही रक्षा मंत्रालय होगा।

क्रिप्स प्रस्तावों की असफलता

  • कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने क्रिप्स प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया।
  • कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक(11 अप्रैल) मेें क्रिप्स प्रस्तावों के बारे में कहा गया कि भविष्य के वायदों से ही संतुष्टि नहीं चाहिए, हमें तो वास्तविक स्वतंत्रता से ही संतुष्टि मिलेगी।
  • महात्मा गांधी ने क्रिप्स प्रस्तावों को उत्तर तिथीय चेक(North dated check) तथा जवाहरलाल नेहरू ने इसमें ऐसे बैंक के नाम जो टूट रहा है जोङा ।
  • जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि उनके पुराने मित्र क्रिप्स शैतान के वकील बनकर आए थे और उनकी योजना के क्रियान्वयन का परिणाम देश के अनगिनत विभाजनों की संभावना के दरवाजे खोल देना होगा।
  • मुस्लिम लीग ने इन प्रस्तावों की आलोचना इसलिए की क्योंकि इसमें साम्प्रदायिक आधार पर देश के विभाजन की मांग नहीं मानी गयी।
  • 30 मार्च, 1942 को क्रिप्स प्रस्तावों की घोषणा हुई।
  • 11 अप्रैल,1942 को क्रिप्स प्रस्तावों को वापस ले लिया गया।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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