पुरापाषाण काल
संपूर्ण पुरापाषाण काल ( 5लाख ई. पू.- 10 हजार ई. पू. ) हिम युग के अंतर्गत आता है अत: पुरापाषाण काल में मानव के अवशेष मुख्य रूप से प्रायद्वीप /दक्षिणी भारत में मिलते हैं क्योंकि यहाँ पत्थरों की मात्रा अधिक मिलती है तथा वातावरण भी रहने के अनुकूल है।(बर्फ नहीं , पत्थरों की बहुलता )
इस काल में मनुष्य अपना जीवन – यापन खाद्यान संग्रह तथा पशुओं का शिकार करके करता था।
पुरापाषाण काल का मानव पर्वत की कन्दराओं में रहता था। ऐसे शैलाश्रय प्राप्त हुए हैं ।
पुरापाषाण काल में मानव के औजार और हथियार कुल्हाङी , पत्थर , तक्षणी , खुरचनी, छेदनी आदी थे, जो परिष्कृत और तीक्ष्ण नहीं थे ।
आग का आविष्कार इसी काल में हुआ था ।
पुरापाषाण काल में पशु जिनसे मानव परिचित था -बंदर, हिरण , बकरी, भैंस , गाय-बैल , नीलगाय , सुअर , बारहसिंगा, गैंडा , हाथी आदि थे, जिनके अवशेष शैलाश्रय की कलाकृतियों से उपलब्ध होते हैं ।
इस काल का मानव कछुओं एवं मछलियों से भी परिचित था और विभिन्न प्रकार के फलों , पुष्पों ,कन्दमूल से भी परिचित था ।
पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थल –
- सोहन नदी घाटी (सिंधु की छोटी सहायक नदी ) – इस स्थल से पुरापाषाण उपकरणों की खोज 1928 ई. में डी. एन . वाहिया ने की थी ।
- व्यास तथा सिरसा नदियों के तटीय क्षेत्रों से पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थल मिले हैं ।
- पहलगांव, अडियाल,बलवाल,चौण्टारा आदि इस क्षेत्र की प्रमुख बस्तियां थी।
- राजस्थान के थार – मरुस्थल के डीडवाना क्षेत्र से में लूनी नदी, गंभीरा नदी, चंबल नदी की घाटीयों में पुरापाषाणकालीन पुरातात्विक बस्तियां प्राप्त हुई हैं ।
- गुजरात क्षेत्र में साबरमती.माही, भद्दर नदियों के किनारे पुरापाषाण कालीन बस्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- नर्मदा नदी क्षेत्र व विन्ध्य पर्वत माला में पुरापाषाण कालीन बस्तियों के अवशेष मिले हैं जिनमें भीमबेटका (म.प्र.) प्रसिद्ध है।
- विन्ध्य से दक्षिण ( ताप्ती , गोदावरी , भीमा , कृष्णा नदियों के किनारे ) पुरापाषाणकालीन अनेक स्थल ( नवासा, कोरेगांव , शिकारपुर ) आदि स्थित हैं।
- सुदूर दक्षिण में कृष्णा की सहायक नदीयों के तटों पर पुरापाषाणयुगीन अनेक बस्तियों के अवशेष मिले हैं जिनमें बागलघोट , पैनियार , गुड्डियम प्रमुख हैं।
- बिहार में रासे नदी के तट पर ( सिंहभूम ) ,बंगाल में दामोदर तथा स्वर्ण रेखा नदियों के तटों पर पुरापाषाणीय अवशेष मिले हैं।
पुरापाषाण काल से सम्बन्धित तथ्य
- पाषाण काल की आरंभिक अवस्था अर्थात पुरापाषाण का नाम यूनानी शब्दों के आधार पर रखा गया है।
- सबसे आदिम व्यक्ति को पुरापाषाणकालीन मानव कहा गया है। भारत में ज्यातर अवशेष चमकीले पत्थर के निर्मित हैं , इसी कारण इन मानवों को चमकीले पत्थर के मानव कहा गया है।
- पुरापाषाणकालीन मानव ने अग्नि जलाना सीख लिया था।
- करनूल जिले की गुफाओं में अग्नि के चिन्ह मिले हैं ।
- हड्डी के उपकरणों का प्रयोग ।