विश्व वन्यजीव दिवस(World Wildlife Day) हर वर्ष 3 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाता है।
3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में नामित करने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के वन्य जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है ।
इसकी शुरुआत थाईलैंड द्वारा दुनिया के जंगली जीवों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मनाने के लिए की गयी थी। महासभा ने वन्यजीवों के पारिस्थितिक, आनुवांशिक,वैज्ञानिक, सौंदर्य सहित विभिन्न प्रकार से अध्ययन अध्यापन को बढ़ावा देने को प्रेरित किया।विभिन्न जीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों के अस्तित्व की रक्षा भी इसका उद्देश्य कहा जा सकता है
सतत विकास लक्ष्य का 14वां लक्ष्य समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी का सतत प्रबंधन और संरक्षण करना है। वर्तमान दौर में समुद्री जीव-जंतु अत्यंत दबाव में है। उन पर जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण का बहुत अधिक असर हुआ है। तटीय प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं और उनका अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। एक तिहाई वाणिज्यिक मत्स्य भंडार इसीलिए समाप्त हो गया है क्योंकि मछलियों को लगातार पकड़ा जाता है। दूसरी ओर अन्य कई प्रजातियों, एलबेट्रॉस जैसे बड़े समुद्री पक्षियों से लेकर कछुओं तक पर, महासागरीय संसाधनों के गैर सतत उपयोग के कारण संकट मंडरा रहा है।
सुखद समाचार यह है कि इस समस्या का समाधान मौजूद है। उदाहरण के लिए जिन स्थानों पर मत्स्य उद्योग का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन किया जाता है, वहां मत्स्य भंडार की पुनःप्राप्ति की संभावना होती है। वनस्पति और जीव-जगत की विलुप्त प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर केंद्रित समझौता (सीआईटीईएस) समुद्री प्रजातियों के विनियमन में वृद्धि कर रहा है। जबकि जैविक विविधता समझौता (सीबीडी) 2020 के पश्चात विश्वव्यापी जैवविविधता संरचना तैयार करने में संलग्न है।
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