प्राचीन भारत
- मार्च- 2018 -14 मार्च
जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत
जैन धर्म के सिद्धांत निम्नलिखित हैं- निवृतिमार्गी- जैन धर्म भी बौद्ध धर्म की भाँति निवृतिमार्गी धर्म है।जैन धर्म एक भिक्षु…
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जैन धर्म के दो समुदायः दिगंबर एवं श्वेतांबर
जैन धर्म मानने को तो सभी लोग मान सकते हैं । लेकिन जैन धर्म में दो समुदाय (शाखाएं) हैं ।…
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अनेकांतवाद एवं स्यादवाद अथवा सप्तभंगीनय
अनेकांतवाद जैन दर्शन का सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार सृष्टि का निर्माण अनेक तत्वों से हुआ है और प्रत्येक…
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जैन धर्म में पांच प्रकार का ज्ञान
जैन धर्म के अनुसार ज्ञान आत्मा का गुण है। आत्मा ज्ञानमय है, ज्ञानस्वरूप है। ज्ञान एवं ज्ञानी भिन्न माने जाते…
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सल्लेखना क्या है
जैन दर्शन के सल्लेखना शब्द में दो शब्द सत् तथा लेखना आते हैं, जिनका शाब्दिक अर्थ है अच्छाई का लेखा-जोखा…
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जैन धर्म में पंच(5) महाव्रत
जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पाशर्वनाथ ने चार महाव्रत बताये तथा 24 वे तीर्थंकर महावीर स्वामी ने पांचवा महाव्रत …
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जैन संगीतियां
जैन धर्म में दो सभाएं हुई थी जिनका विवरण इस प्रकार है। प्रथम जैन सभा- समय – प्रथम जैन संगीति…
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जैन धर्म के अनुसार संसार के 6 द्रव्य
जैन धर्म में भगवान अरिहंत (जिसे ज्ञान प्राप्त हो), सिद्ध (मुक्त आत्माएँ) को कहा जाता है। जैन धर्म इस ब्रह्मांड…
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जैन धर्म के 24 तीर्थंकर
जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। तीर्थंकर का अर्थ है- तारने वाला अर्थात् जो स्वयं तप के माध्यम से…
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जैन धर्म के त्रिरत्न
त्रिरत्न एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- तीन रत्न। पालि भाषा में इसे ति-रतन लिखा जाता है। इसे…
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