प्राचीन भारत
- नवम्बर- 2019 -17 नवम्बर
गुर्जर प्रतिहार शासक-नागभट्ट प्रथम
ग्वालियर अभिलेख से पता चलता है, कि उसने एक शक्तिशाली म्लेच्छ शासक की विशाल सेना को नष्ट कर दिया। यह…
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राजपूतों के प्रमुख राजवंश – गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास के साधन, उत्पत्ति
इस वंश की प्राचीनता 5वी.शता. तक जाती है। पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल लेख में गुर्जर जाति का उल्लेख सर्वप्रथम हुआ…
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राजपूत राजवंश : राजपूतों की उत्पत्ति संबंधि विविध मत
राजपूत बङे ही वीर तथा स्वाभिमानी होते थे और साहस, त्याग, देश-भक्ति आदे के गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हुये थे।…
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राजनीति शास्र के प्रमुख ग्रंथ तथा लेखक कौटिल्य और उसका अर्थशास्र, कामंदकीय नीतिसार, शुक्रनीति
प्राचीन काल में राजनैतिक व्यवस्था अर्थात् राजा तथा राज्य और राजा के कार्यों के बारे में अलग-2 विद्वानों ने अपने…
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शुक्रनीति क्या है
शुक्रनीति में शासन-व्यवस्था का जैसा विवरण दिया गया है, वैसा अर्थशास्र को छोङकर और अन्य किसी भी ग्रंथ में नहीं…
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कामंदकीय नीतिसार में किस विषय का वर्णन है
कामंदकीय नीतिसार कौटिल्य के अर्थशास्र का संक्षेपीकरण मात्र है। इसे आसानी से कंठस्थ योग्य बनाने के उद्देश्य से लेखक ने…
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सप्तांग सिद्धांत क्या था
कौटिल्य द्वारा प्रतिपादित राज्य का उपर्युक्त सप्तांग सिद्धांतवाद के लेखकों के लिये आदर्श स्वरूप बना रहा। कुछ ग्रंथों में इन…
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प्राचीन कालीन राज्य के प्रकार
प्राचीन साहित्य एवं विदेशी लेखकों के विवरण से पता चलता है, कि राजतंत्रात्मक राज्यों के साथ ही साथ प्राचीन इतिहास…
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प्राचीन भारतीय राजत्व की विशेषताएँ
अति प्राचीन काल से ही भारतीयों ने राजा एवं राजपद की महत्ता को समझा एवं सामाजिक व्यवस्था के लिये उसे…
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प्राचीन भारत में राज्य संस्था की उत्पत्ति के सिद्धांत
राजदंड के डर से ही मनुष्य न्याय के मार्ग पर चलते हैं तथा न्याय ही उनका रक्षक हैं। महाभारत में…
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