अलाउद्दीन खिलजीइतिहासखिलजी वंशदिल्ली सल्तनतमध्यकालीन भारत

मदुरा या माबर विजय (1311ई.)

माबर विजय – होयसल राजा से मुक्त होने के बाद मलिक काफूर ने माबर (पांड्य राज्य) पर आक्रमण की तैयारी की। यह मार्ग पहाङी तथा अत्यंत दुर्गम था। उसे यात्रा में एक वर्ष लगा और बल्लाल को सेना का पथ प्रदर्शन करने के लिये विवश किया गया। पांड्य राजवंश के दोनों भाई सुंदर पांड्य और वीर पांड्य पारस्परिक झगङों के जंजाल में जकङे हुए थे। ऐसी स्थिति में खलजी सेना को वह सुयोग प्राप्त हुआ जिसका उसे काफी समय से इंतजार था। वस्साफ तथा अमीर खुसरो ने सुंदर पांड्य को पांड्य राज का वैध तथा वीर पांड्य को अवैध पुत्र बताया है। वीर पांड्य सिंहासन पर अधिकार करने में सफल हुआ। उसने सुंदर पांड्य को मदुरा से निकाल दिया। सुंदर पांड्य ने दिल्ली के सुल्तान से सहायता की याचना की। माबर के गृहयुद्ध में मलिक काफूर ने सुंदर पांड्य का पक्ष लेकर वीर पांड्य को पकङने की बहुत कोशिश की, परंतु वह सफल न हो सका। वह वीर पांड्य को पराजित नहीं कर सका और न ही कोई शर्त लाद सका। किंतु उसे इन क्षेत्रों के नगरों, भवनों तथा मंदिरों की लूट से काफी धन प्राप्त हुआ। सारे राज्य के अनेक चक्कर लगाए गए परंतु वे सब निरर्थक रहे। अमीर खुसरो के अनुसार वह हाथी, घोङे और विभिन्न प्रकार के बहुमूल्य हीरे, जेवरात लेकर दिल्ली लौटा। अपने साथ बल्लाल तृतीय को भी ले गया। बरनी के अनुसार दक्षिण से प्राप्त संपत्ति इतनी थी कि मुसलमानों के द्वारा दिल्ली पर अधिकार किए जाने के बाद कभी भी इतना कोष अधिकृत नहीं किया गया था। सुल्तान ने वीर बल्लाल को सहायता के लिये सम्मानित किया। उसे एक विशेष खिलत, दृष्टिकोण से पांड्य राज्य पर काफूर का आक्रमण महत्वहीन था तथापि आर्थिक दृष्टिकोण से यह महान सफलता थी।

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