लोक देवता अर देविया

लोक देवी-देवतावां री समाज अर संस्कृति नै देन

लोक देवी-देवतावां री समाज अर संस्कृति नै देन

मरूधरा री सामाजिक व्यवस्था नै बणाय’र राखण में आं लोक देवी-देवतावां रौ महताऊ योगदान रैयो है। इण बात रौ सबसूं मोटो सबूत है’कै घणकरा लाेक देवी देवता अेक जात-सम्प्रदाय विसेस सूं सम्बन्ध राखता हा, पण उणां रै जीवण सूं प्रेरणा लेवण मांय हरैक जात-धरम रा लोगबाग सैं सूं आगै रैंवता।

राजस्थान रै मध्य काळ खण्ड मांय घणकरां लोक देवी-देवता जलम लियो या फैर औतार लियौ। इण काळ खण्ड मांय लोक जीवण घणो सोरो नीं हौ। राजस्थान री घणकरी आबादी खेतीबाङी करती ही अर कम पढी लिखी ही। नीची जातियां री हालत तो औरूं बेसी खराब ही।

राजस्थान री आ इ आबादी आं पुण्यात्मावां नै आपरा देवी-देवता मान’र इणां री पूजा करणी सरू कर दी। अेक खास बात आ कै इ पूजा मांय कोई खास विधी-विधान री जरूरत कोनी ही अर नाइ कोई करम-काण्डी नियमां री जरूरत ही। ओ तो भगती रौ बङोइ सरल अर सहल रूप हो। भगतजन दीया बाती कर’र दूध, लापसी, चूरमे रौ भोग लगावता अर भगती रै रूप में भजन कीरतन करता जीवण बितावतां।

लोक देवी-दोवता आपरौ जीवण अर अवतार काल मांय जात-पांत रौ भेद खतम करयौ, सामाजिक कुरीतियां नै मिटावण सारू अलख जगाई अर पसु धन री रिक्षा करी। इणां री प्रेरणा सूं इ जनमानस मांय त्याग,सतकरम, बलिदान अर इमानदारी री भावनावां चेती। इणां रै पुनपरताप सूं इ समाज रौ विघटण हुवण सूं बच्यौ अर समाज मांय अेक नूंई चेतना समरसता अर भाई चारो जाग्यौ।

समाज मांय इण बदळाव रौ मोटो कारण ओ रैयो कै आं लोक देवी-देवतावां री पूजा अर सेवा रो मारग सरल अर सहज हो। इण कारण आं रौ जुङाव आम आदमी सूं व्है ग्यो अर इणा रै जीवण रौ प्रभाव सीधै आम आदमी रै जीवण माथै पङ्यौ। इण कारण सूं अे लोक देवी-देवता समाज रै सुधार सारू जिकी कोसिस करी, उण रौ पूरो-पूरो असर हुयौ अर समाज में प्रेम अर भाई चारे री भावना रौ विकास तेजी सूं हुयौ।

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