राजस्थान री लोक देवी करणी माता
राजस्थान री लोक देवी करणी माता
लोक धारणा है कै जद जद धरती माथै पाप बधे तद तद भगवान मानखे री देह धारण कर’र अवतार
लेवे अर धरती माथै सुख सांती लावै। विक्रमी संवत 1144 अेङी ही बरस हौ जद सगती री देवी श्री करणीजी रै रूप मांय फळोदी रै गांव सुबाप मांय मेहाजी अर देवल बाई रै घरां अवतार लियौ।
करणीजी रौ बचपन रौ नांव ऋद्धिबाई हो अर अे आपरै पिता री छठी संतान हा। इणां सूं पैली मेहाजी रै पांचू कन्या इ ही। करणीजी रै प्रस्व सूं पैली उणां री माता देवल बाई नै सपनो आयो कै थारी कोख सूं देवी अवतार लेवेला। देवल बाई इण बात माथै कैई बरसां ताईं ध्यान नीं दीयौ।
करणीजी री भुआ इणां रै जलम नै कोसतां थकां आंगळियां भेळी कर’र मुक्को बणाय’र इणां रै माथै पर डुक्को मारयौ जद उणां री आंगळियां भेळी ही रैयगी। इण घटना सूं देवल बाई नै सपनो पाछो याद आयो अर बै सोच्यो कै आ कन्या कीं न कीं करणी करसी, इण कारण सूं उणां रो नाम बीं बखत सूं इ ‘करणी’ पङग्यौ।
इण भांत करणीजी बचपन सूं ही चमत्कार देखावणां सरू कर दिया हा। वां री भुआ जद अेक बार पाछी आयी तो करणीजी उणां नै सिनान करावण सारू कैयो। जद भुआ कैयो कै आछी तरै सिनान कीकर कराऊं म्हारौ अेक हाथ तो भेळो हुयौङो है। तद करणीजी वां नै कैयो कै कठै भेळो हुयौङो है देखो तो सरी। ओ चमत्कार
देख’र भुआजी अेकदम हैरान हुयग्या।
इणी भांत अेकर करणीजी रा पिताजी मेहाजी नै जंगळ मांय सांप काट लियौ। करणीजी आपरै पिताजी रै उण अंग माथै आपरौ हाथ राख्यौ जठे सांप काटयौ हो अर उणी बखत सगळो जैर सरीर मांय सूं निकळग्यौ।
उणां री ख्यात सुण’र पूंगळ रा राजा राव शेखा उणां रौ आसीरवाद लेवण सारू आया। उण बखत
करणीजी आपरै पिताजी खातर दही अर रोटी ले’र खेतां में जा रैया हा। राव शेखा उणां नै नमन करयो अर जुधा में जीत रौ आसीस मांग्यौ।
करणीजी उणां नै घरां आवण रौ न्यूंतौ दीयौ तद राव माफी मांगी अर फेंरूं आवण रो कैयो। जद करणीजी उणां नै जीमण रौ न्यूंतौ दीयौ अर कैयो कै अबार जिकौ भोजन हाजर है वो इ’ज करलौ। रावजी देख्यौ कै भोजन तो थोङो सो’क है अर सिपाई घणा है, जद वां सिपाइयां नै कैयो कै बाई जी जितो देवे उतो इ’ज ले लिया दूसर मत मांग्या।
सिपाई अेक अेक कर’र आपरा बरतण लेय’र करणीजी कनै जांवता अर करणीजी वांरै बरतण मांय आपरी छोटी हांडी रौ दही अर रोटियां भर देंवत। इण तरै वै सगळा सिपाइयां नै दही अर रोटियां रो जीमण जीमाय दीयौ। इण चमत्कार सूं सिपाई अर रावजी दंग रैयग्या।
जुध में जीत’र रावजी पाछा आया अर करणीजी नै आपरी बैन बणाय लीनी।
इणी भांत करणीजी री भुआजी वांनै कैयौ कै मेहाजी नै बेटो हुवण रौ वरदान देवौ। करणीजी आपरै
पिताजी नै आसीस दीयौ जद वांरै दो बेटा हुया जिकांरा नांव सातल अर सारंग राख्या गया।
करणीजी रौ ब्यांव अर चमत्कार
इतिहासकारां रै मुजब करणीजी रौ ब्याव विक्रमी संवत 1473 में हुयौ हौ। करणीजी री उमर बधती जाय रैयी ही अर उणां रै मां-बाप नै वां रै ब्यांव री चिन्ता लाग्यौङी ही। आपरै माता-पिता री चिन्ता देख’र करणीजी खुद ही वां नै बतायौ कै साठिया गांव रै श्री केलूजी रै बेटे देपाजी सूं म्हारै ब्याव री बात चलाओ।
मेहाजी साठियां गांव गया अर केलूजी सूं रिस्ते री बात करी। केलूजी राजीखुसी इणनै मान लियौ अर बरात लेय’र आया। इण दौरान करणीजी रै नानेरे आळा निराज हुयग्या अर वांरा मामोसा भात लेय’र न्हीं आया। इण सूं करणीजी दुखी हुया अर नानेरै वाळा ने सराप दे दियौ जिण सूं वां रौ गांव आढो छूटग्यौ अर वै अठीनै उठीनै फिरण लाग्या।
करणीजी रै ब्याव री बखत उणां रा पिताजी मेहाजी घणौ दायजौ देवणो चांवता पण, देपाजी दायजौ लेवण सूं मना कर दियौ। पण करणीजी जिद कर’र आपरै सागै 200 गायां ले लीनी।देपाजी री बरात करणीजी ने लेय’र विदा हुयगी।
मारग में करणीजी रा कई चमत्कार हुया। सुबाप गांव सूं 15 किलोमीटर आया पछै जद बरातियां अर जिनावरां नै तिस लागी तो ठा पङी कै पाणी रा सैं घङा तो खाली हुयग्या है।
इण बात री जाणकारी जद करणीजी नै हुयी तो वां डोलीवाळे नै कैयो कै अठै कनेइ अेक तळाब है वठै सूं पाणी भर लावौ। जद देपाजी कैयो कै इण मारग में तो कठै आसे-पासे कोई तळाब है, इ’ज कोनी। करणीजी वां नै कैयो कै लारै मुङनै देखो, अर जद देपाजी लारै मुङ्या तो उणां नै अेक पाणी रो तळाब दीस्यौ।
देपाजी हैरान हुयग्या। इण रै बाद जद देपाजी करणीजी नै पाणी पीवण सारू पूछण नै डोली मांय झांक्यो तो वां देख्यौ कै डोली मांय तो साक्षात देवी हाथां मांय त्रिसूळ लियोङी है अर वां रै कनै सिंहराज बैठ्या है। आ देख’र देपाजी फैरू हैरान हुयग्या।
थोङी’क ताळ बाद करणीजी पाछा मानव देह मांय आयग्या अर देपाजी नै कैयो कै म्हूं देवी रो अवतार हूं अर मानवी देह मांय संसार रा सुख भोगण सारू नहीं आयी हूं।
म्हूं तो जनमानस रो कल्याण करण सारू अवतार लियौ है। आ म्हारी मिनखा देह थांरै कोई काम नहीं आवैला। इण कारण आप घर गिरस्थी चलावण सारू म्हारी छोटी बैन गुलाब सूं दूजो ब्याव करलो। आं सगळा चमत्कारां सूं देपाजी आ बात समझग्या कै करणीजी सगती रौ अवतार है।
बरात आगै चाली तो मारग में केलिया गांव आयो जिकौ आज काळू रै नांव सू जाण्यौ जावै। केलिया
गांव रा लोग करणीजी नै कैयो के उणां रै गांव में अेक ही कुओ है, अर उण मांय पाणी बौत कम रैवै इण कारण मानखे रै सागै सागै जिनावर भी तिसा या रैवै।
वां करणीजी सूं अरदास करी कै म्हारे कुअे मांय पाणी बढा दो। जद करणीजी वांनै वरदान दीनौ कै वे उणां री मूरत बणाय’र काचे चमङे मांय राख’र कुअे में घाल देवे पाणी कैदई नीं खूटेला अर जिकै इ खेजङे नीचे म्हूं ऊभी हूं इणनै कदैई काट्या मत। कालू गांव में ओ कुओ आज करणीसर नांव सूं जाणीजै अर पूजीजै।
इण रै कनै आज बी वौ खेजङो लांबो चोङौ हुयौङो मौजूद है। पुरातत्व विभाग आळा इण कुअे सूं चमङे मांय ढक्यौङी करणीजी री मूरत बरामद कर लीनी पण गांव वाळा रै कैवण सूं पाछी कुअे मांय घाल दीनी। करणीजी रा सुसरा केलूजी शिवजी रा भगत हा। जद उणां नै ठा पङी कै करणीजी सगती रा अवतार है तो वां उणां रौ स्वागत देवताआ रै स्वागत री भांत करयौ।
इतिहासकारां रै मुजब करणीजी आपरै सासरै दो बरस इ’ज रैया। विक्रमी संवत 1475 मांय इणां आपरै
सासरै रौ त्याग कर दियौ। हालांकि इण बाबत भी इतिहासकारां मांय अेको कोनी। करणीजी जिती टैम आपरै सासरै रैया, वठै भी बखत सारू चमत्कार करता रैया।
करणीजी रै नानेरै वाळा उणां रै ब्याव री बखत भात भरण नै नीं आया जिके सूं नाराज हुय’र करणीजी उणां नै सराप दियौ हौ। कालान्तर मांय जद उणां रै मामा नै ठा पङी कै करणीजी सगती रो अवतार है तद वै साठिका गांव करणीजी रै सासरै आया अर उणां सूं माफी मांगी अर पस्चाताप मांय पूरे साठिका गांव नै आपरै गांव आढा चालण रौ न्यूंतौ दियौ।
पण करणीजी कैयो कै दियौङो सराप कदैइ खाली नहीं जावै वो तो पूरो व्हैला पण अबै थे लोग किणी पहाङी री तळी मांय जाय बस जाओ तो थांरो कल्याण हुय सकै। इतिहास साक्षी है कै जिका आढा चारण पहाङा री तळी मांय बस्योङा है वै आज सोरा सुखी है अर दूजा आज ताईं अठीनै बठीनै भटक
रैया है।
साठीके सूं देसणो करणीजी रै सासरै साठिका गांव मांय पाणी रो अेक कुओ हुया करतौ जिके सूं गांववाळा री पाणी री जरूरतां पूरी हुंवती ही। ब्याव रै बाद करणीजी आपरै सागै 200 गायां लाया हा दे पाजी उणां री छोटी बैन गुलाब बाई सूं ब्याव कर आया तो घणा सारा ढोर-डांगर फेर आयग्या। इण स कुअे रो पाणी पीवण नै ही कम पण लागग्यो। इण कारण सूं गांववाळा जिनावरां नै कुअे सूं पाणी पिलावण रो विरोध करण लागा।
इण बात सूं नाराज हुय’र करणीजी सराप दियौ कै कुअे रो पाणी खारो हुय जावै अर निरणै करयौ कै अबै नूईं जगा आपारौ ठिकाणौ बणास्यां। दूजे दिन लोगां जद कुअे सूं पाणी भरयौ तो वां नै पाणी खारो लाग्यो। जद वै डरया अर करणीजी सूं माफी मांग’र उणां नै अरज करी कै पाणी पाछो मीठो करौ।
करणीजी कैयो’कै पाणी तो अबै खारौ इ’ज रैसी पण थांरी जरूरत रै हिसाब सूं स्वाद हुय जासी। पछै आपरौ गांव छोडण रो निरणै सुणाय दियौ। गांववाळा उणां नै मनावण री घणी कोसिस करीं पण वै नीं मान्या। विक्रमी संवत 1475 री जेठ सुदी नवमी नै करणीजी आपरै सासू-सुसरा, धणी, अर दूजा संबंधियां रै सागै सगळा ढोर-डांगरा नै लेय’र गांव री ओरण माथै आयग्या अर कह्यौ कै दूजे दिन दिनूगै रवाना हुवांला अर सूरज भगवान रै अस्त हुवण री वेळा जिकी ठौङ पोंचाला उठै इ’ज नयौ ठिकाणौ बणावांला।
इण तरै विक्रमी संवत1475 री जेठ सुदी दसमी नै ब्रह्म मूरत मांय करणीजी सगळा रै सागै रवानगी लीनी।मारग मांय करणीजी आपरां चमत्कारां सूं लोक सेवा करता रैया। करणीजी अर वांरो टोळो थोङी दूर इ’ज चाल्यो हौ कै अेक लुगाई रोंवती मिळी। उण रै घरवाळै नै सांप काट लियौ हो अर बो मरग्यौ।
उण टैम बा लुगाई गौणौ करा’र आपरै सासरै जाय रैयी ही। करणीजी नै जद इण बात री ठा पङी तद बै रथ माथै बैठा-बैठा इ बोल्या कै वीर उठ’र खङौ हुय जा। करणीजी रै इयां कैवंतैं इ’ज वो मिनख उठ’र खङो हुयग्यौ। दोपारौ हुयां पाछै करणीजी अर वांरो टोळो जांगळू गांव पूग्यो। उण बखत जांगळू रा सरदार राव कान्हा हुया करता हा। उणी दिन वठै चांडासर रा राव रिङमल आयौङा जिका करणीजी रा भगत हा।
करणीजी जांगळू पूंग’र डांगरा नै कुअे माथै लेयग्या पाणी पिलावण सारू। कुअे री रूखाळी करण वाळा कैयो कै ओ कुओ राव कान्हा रौ है अर अठै सबसूं पैली उणां रा डांगरा इ’ज पाणी पी सकै। पण करणीजी इण बात रौ ध्यान नीं धरयौ अर आपरै डांगरा नै पाणी पिलावंता रैया।
उणां रै डांगरा रै पाणी पीया पाछै कुअे रो निकाळयोङो पाणी खतम हुयग्यौ। इण बात नै लेय’र बौत झगङो हुयौ अर बात राव कान्हा ताईं पूंचगी। राव कान्हा अर राव रिङमल दोन्यूंरइ वठै पूग्या। राव रिङमल तो करणीजी नै देखर्तां इ उणां री भगती मांय लागग्या।
करणीजी उणां नै आसीस दीवी कै आ जिकी धरती तूं देख रैयो है इण पर थारा वंसज राज करैला। आ बात राव कान्हा नै सुवाई कोनी क्यूंकै करणीजी जिकी धरती री बात कर रह्या हा वा राव कान्हा री ही अर बै करणीजी रै वास्ते दुसमणी री भावना राखण लाग्या। इण रै पाछै करणीजी वठै सूं आगे चाल्या अर सूरज भगवान रै अस्त हुवण री वेळा ताईं अबार जठै देसणोक है उणरै कनै जाळां रौ जंगळ हुया करतौ, वठै आ’र रूकग्या क्यूंकै करणीजी रौ प्रण हो कै जठै सूरज भगवान अस्त हुवैला वठै इ’ज नयौ ठिकाणो बणावांला।
ओ जिको जाळ रो जंगळ हो अठै राव कान्हा रा जिनावर घास चरया करता हा अर इण री रूखाळी करण सारू कैई सिपाई वठै रैंवता। करणीजी जद वठै डेरो डाल्यौ तो वै सिपाइयां आ सोच्यो कै जे करणीजी अठै रेवैला तो इणां रा जिनावर सगळो घास चर जावैला पछै राव कान्हा रा जिनावर भूखा रेवैला।
आ सोच’र बै करणीजी नै वठै जिनावर चरावण सूं मना करयौ पण करणीजी उण बात माथै ध्यान नीं दियौ। दूजे दिन करणीजी री गायां पाणी पीवण सारू जांगळू वाळे कुअे गयी तो राव कान्हा अर वांरा सिपाई गायां नै पाछौ टोर दि जिण कारण गायां रातभर तिसी रैयी।
करणीजी री किरपा सूं उण रात जंगळ मांय बिरखा हुई अर चारूंमेर पाणी ही पाणी हुयग्यौ जिण सूं गायां री प्यास बुझी। बाद मांय राव कान्हा आपरै दो मोटा दरबारियां नै करणीजी कनै भेज्या अर कैवायो कै म्हारौ जंगळ खाली करो। करणीजी मना करयौ अर समझायौ कै इण तरै वांनै तंग नीं करौ पण वै नीं मान्या अर करणीजी अर देपाजी नै अणूती बातां कैवण लाग्या। जद करणीजी नै रीस आयगी अर वै सराप देय’र बा दोन्यूं दरबारियां रौ मूंडो सियाळिये जेङौ बणाय दियौ।
आ देख’र राव कान्हा सोच्यो कै करणीजी र्कोइ जादूगरणी है इण खातर बौ आपरै राज रै ओझा नै लेय’र खुद हाथी माथै चढ’र जंगळ आयौ करणीजी सूं झगङो करण लाग्यौ। करणीजी राव कान्हा नै कह्यौ कै म्हें अठै माताजी रा हुकम सूं आयी हूं अर उणां रो सामान इ संदूक मांय पङयौ है।
उणां रावजी नै कह्यौ कै आ सन्दूक उठा’र म्हारे रथ मांय रखवाय दो म्हूं चली जासूं। फैर कांईं हो, राव कान्हा अर वांरा सगळा सिपाई अर हाथी सैं लागग्या पण वो संदूक आपरी जागां सूं हिल्यौ इ कोनी। राव इण सूं फैर चिढग्यौ अर बोल्यो कै थांनै इती सगती है तो म्हारै मरण रो बखत बतावो।
करणीजी वांनै मरणे रौ समै छ महीना बतायौ। राव फेरूं बैसबाजी करता रैया अर करणीजी मरणे रौ बखत घटावंता गया। अंत मांय करणीजी अेक लकीर खींच दीनी अर कैयो कै आ लकीर पार करतांइ तूं मर जासी। राव कान्हा नै विसवास हुयौ कोनी अर बो लकीर पार कर ली, अर पार करतांइ बो मरग्यौ। राव कान्हा रै मरयां पछै करणीजी राव रिङमल नै बुलायौ अर जांगळू रौ राजा बणाय दियौ।
इण तरै री कैई घटनावां हुई जिण सूं करणीजी री ख्यात दिनोदिन बधती गयी अर लोग वांरै दरसण
सारू आवण लाग्या। कैई जणां तो वठै इ’ज आपरौ घर बणाय लियौ। अेङा घर आज श्री नैङीजी रै मिंदर कनै करणीजी री ढाणी रै नांव सूं जाण्या जावै। ’नैङी’ रो मतलब हुवै दही बिलोवण री लकङी। इण रै लारै ओ विस्वास है कै करणीजी अेक भगत सूं दही बिलोवण आळी लकङी मंगाई अर बीं लकङी नै धरती मांय गाङ दी अर बीं माथै दही रा छांटा न्हांख दिया।
दही रा छांटा देंवता इ बा लकङी एक हरयौ – भरयौ रूंख बणगी। आज भी आं रूंखा री जद पुराणी छाळ उतर नूंइ आवै तो उण माथै दही रा छांटा दीसै। करणी माताजी रै भगतां रो आणो-जाणो नित रा बधण लाग्यौ, बठै ब्यौपार सरू हुयग्यौ, लोग रैवण लाग्या। इण भांत देसणोक रो विकास हुयौ। इण काळ मांय देसणोक द्वारका सूं दिल्ली जांवण रो मारग हुया करतौ हौ अर जांगळ देस री नाक कहीजतौ।
