इतिहासराजस्थान का इतिहास

अजमेर का विलय राजस्थान में कब हुआ

अजमेर का विलय – अजमेर की समस्या भी कोई कम गंभीर नहीं थी। एक ओर तो अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद की राजपूताना प्रान्तीय सभा सदैव यह माँग करती रही कि वृहत राजस्थान में न केवल प्रान्त की सभी रियासतें वरन् अजमेर-मेरवाङा का इलाका भी शामिल किया जाय, किन्तु दूसरी ओर अजमेर का काँग्रेस नेतृत्व इस माँग का विरोध कर रहा था। अतः भारत सरकार ने इसे केन्द्र-शासित क्षेत्र ही बनाये रखना उचित समझा। 1952 ई. में आम चुनावों के बाद अजमेर-मेरवाङा में श्री हरिभाऊ उपाध्याय के नेतृत्व में काँग्रेस का मंत्रिमंडल बना। चूँकि काँग्रेस का यह नेतृत्व अजमेर को राजस्थान में मिलाये जाने के कभी पक्ष में नहीं रहा और अब अजमेर-मेरवाङा में मंत्रिमंडल के गठन के बाद तो काँग्रेस का नेतृत्व यह तर्क देने लगा कि प्रशासन की दृष्टि से छोटे राज्य ही बनाये रखना चाहिए। किन्तु राज्य पुनर्गठन आयोग के अजमेर के नेताओं के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और सिफारिश की कि अजमेर-मेरवाङा का क्षेत्र राजस्थान में मिला देना चाहिए। तदनुसार, 1 नवम्बर, 1956 ई. को सिरोही के माउण्ट आबू वाले क्षेत्र के साथ-साथ अजमेर-मेरवाङा भी राजस्थान में मिला दिया गया। इस प्रकार एकीकृत राजस्थान के निर्माण की जो प्रक्रिया मार्च, 1948 ई. को आरंभ हुई थी, उसकी पूर्णाहुति 1 नवम्बर, 1956 को दी गयी।

महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न – एकीकृत राजस्थान के निर्माण में जो मत्स्य संघ का निर्माण किया गया, उसमें शामिल थे –
उत्तर – अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली।

प्रश्न – एकीकृत राजस्थान के निर्माण हेतु संयुक्त राजस्थान का निर्माण किया गया, जिसका प्रधानमंत्री बनाया गया
उत्तर – प्रो. गोकुल प्रसाद असावा को।

प्रश्न – वृहत राजस्थान के महाराज-प्रमुख थे
उत्तर – सवाई मानसिंह।

प्रश्न – सिरोही का राजस्थान में विलय हुआ
उत्तर – 1956 ई.।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

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