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असीरियन सभ्यता का इतिहास

असीरियन सभ्यता का इतिहास

असीरिया इराक की दजला (टाइग्रिस) और फरात नदियों के बीच में जो भूमि है उस पर, प्राचीन काल में, दो राज्य, असीरिया तथा बेबीलोनिया थे। बेबीलोनिया के शासक खामोराबी की मृत्यु के बाद बेबीलोनिया का साम्राज्य कमजोर हो गया था। इसके बाद असीरिया के लोगों ने बेबीलोनिया के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।

असीरिया के लोग किसी बाहरी क्षेत्र के लोग नहीं थे, बल्कि वो भी मेसोपोटामिया के ही रहने वाले थे। उनके राज्य में एक असुर नामक नगर था, जिसकी वजह से उनको असीरियन कहा जाता था। असीरिया के शासक का नाम था, असीरिबेनीपाल। असीरिया की सभ्यता एवं उसके राजनैतिक जीवन के बारे में पता चलता है, कि असुर नगर असीरिया की राजधानी था। इस सभ्यता में राजा को भगवान का प्रतीक माना जाता था।

आर्थिक जीवन

इस सभ्यता में बेबीलोनिया सभ्यता(Babylonia Civilization) के लोगों की तरह ही इनकी जीविका का मुख्य विषय कृषि ही था। यहाँ के लोगों ने लोहे का भी प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया था। ऐसा माना जाता है, कि असीरिया के लोगों ने ही सबसे पहले लोहे के औजारों का प्रयोग प्रारंंभ किया था।

सामाजिक स्थिति

बेबीलोनिया तथा सुमेरिया की तरह ही असीरिया की सभ्यता का समाज भी तीन वर्गों में विभक्त था-

  1. उच्च वर्ग – इस वर्ग में पुरोहित तथा सामंतों को शामिल किया गया था।
  2. मध्यम वर्ग – इस वर्ग में किसान तथा व्यापारियों का नाम आता था।
  3. निम्न वर्ग – दास लोग

वैज्ञानिक जीवन तथा साहित्य

असीरिया के लोगों में वैज्ञानिक क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति हुयी थी। यहाँ के लोगों को औषधियों का ज्ञान बेबीलोनिया की सभ्यता के लोगों से प्राप्त हुआ। इस सभ्यता के लोगों को खगोल विद्या का भी ज्ञान था। वनस्पति विज्ञान का भी ज्ञान था।

जहाँ असीरिया था, वह पर्वतीय तथा पठारी देश है। इसके मध्य में मैदानी भाग तथा कुछ घाटियाँ हैं। जलवायु भूमध्यसागरीय है। यहाँ सिंचाई की समुचित व्यवस्था थी। असीरिया राज्य का विस्तार सीरिया की तरफ अधिक था। जहाँ आज शरकात नगर है, वहीं दजला नदी के पश्चिमी तट पर असुर नगर था जो देश की राजधानी था।

बर्बर आक्रमणों से अपनी रक्षा तथा अधिक कठिनाइयों का सामना करने के कारण यहाँ लोग युद्धप्रिय तथा कठोर थे। यहाँ गेहूँ, जौ तथा फल बहुत पैदा होता था। यहाँ की सभ्यता ईसा से 2,500 ई.पू. की मानी जाती है। प्रारंभिक सुमेरी काल के इतिहास में यहाँ की सभ्यता का वर्णन पाया जाता है। यहाँ के नगर सुव्यवस्थित ढंग से बसे हुए थे। जिनमें विनोदस्थल, क्रीड़ाकेंद्र तथा उद्यान थे। नगरों के चारों तरफ अट्टालयुक्त चौड़ी दीवारें थीं।

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