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19 नवम्बर : विश्व शौचालय दिवस कब मनाया जाता है

विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day) – विश्व शौचालय दिवस प्रत्येक वर्ष को 19 नवंबर को मनाया जाता है। शौचालय दिवस को मनाने का उद्देश्य है,लोगों में खुले में शौच करने की आदत को कम करना तथा इससे होने वाली बीमारियों के बारे में बताना। खुले में शौच करने से बीमारियां उत्पन्न होने के साथ – साथ पर्यावरण दूषित होता है, इसलिए सरकार इस समस्या से उबरने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चला रही है।

खुले में शौच की प्रवृति रोकने तथा इसमे बदलाव लाने और साफ सफाई के प्रति जागरुकता फैलाने के मकसद से दैनिक जागरण की सामाजिक सरोकार से संबंधित इकाई पहल आरबी इंडिया के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश और बिहार के दो सौ गांवो में प्रोजेक्ट चला रही है इस अभियान में 500 पंचायती राज संस्थाओ के समुदाय के नेताओ, 500 आशा, आंगनबाड़ी कर्मियो की सहायता से सीधे तौर पर इन गांवो की दो लाख महिलाओ से जुड़कर उनको स्वच्छा के प्रेरित किया जा रहा है। बिहार के भागलपुर जिले के 100 गांवो और उत्तर प्रदेश के वाराणसी, कन्नोज और इटावा के 100 गांवो में चलाए जा रहे इस कार्यक्रम की हर स्तर पर निगरानी और बदलाव के वाहक बन रहे लोगो की उपलब्धियो को रेखांकित किया जा रहा है।Reference : https://hi.wikipedia.org/wiki

विश्व शौचालय दिवस को मनाने का उद्देश्य

यह दिवस विश्व के लोगों और उनके समुदायों को स्वच्छता के कलंक को तोड़ने एवं स्वच्छता से संबंधित मुद्दों पर सहयोग करने के लिए उन्हें जोड़ने और शिक्षित करने का प्रयास करता है। शौचालय और स्वच्छता के मुद्दे पर ख़ामोशी/निस्तब्धता घातक है। यह दिवस स्वच्छ पानी एवं स्वच्छता के मानव अधिकार के बावजूद, जिनके पास शौचालय तक पहुंच नहीं है, उनके बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिवस है। यह इसके बारे में कुछ करने का दिवस है। स्वास्थ्य, गरिमा, गोपनीयता और शिक्षा के लिए स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय अनिवार्य हैं।

 इस दिवस का उद्देश्य स्वच्छता के संकट पर वैश्विक ध्यान दिलाना है। वर्ष 2013 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 19  नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के रूप में नामित किया है। इसे संयुक्त राष्ट्र- जल द्वारा सरकारी और भागीदारों के सहयोग से समन्वयित किया गया है। वर्ष 2017 का विषय “अपशिष्ट जल” है। वर्ष 2030 तक, सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है, कि सभी को घरों में सुरक्षित-प्रबंधन युक्त शौचालय प्राप्त हों और अनुपचारित अपशिष्ट जल के अनुपात को कम एवं रीसाइक्लिंग (पुनर्चक्रण) तथा सुरक्षित पुन: उपयोग करना है। यह न केवल स्वास्थ्य और जैविक स्थितियों पर गहरा प्रभाव डालेगा क्योंकि सुरक्षित-प्रबंधन युक्त अपशिष्ट जल में वहन करने योग्य और ऊर्जा के संवहनीय स्रोत एवं पोषक तत्व तथा पानी होने के गुण है। इसे प्राप्त करने के लिए समस्त मानव कचरे को सुरक्षित और सतत तरीके से इकट्ठा, ढुलाई, उपचार क्रिया और निपटान करना होगा। आज, विश्वर के अरबों लोगों के लिए स्वच्छता प्रणाली अस्तित्वहीन या अप्रभावी/प्रभावहीन हैं। मानव कचरा पर्यावरण में पहुँच जाता हैं तथा मारक रोगों के जीवों को फैलता है। यहां तक कि समृद्ध देशों में अपशिष्ट जल की उपचार क्रिया सही नहीं है, जिससे नदियों और तटीय इलाकों में प्रदूषण हो रहा है। मानव अपशिष्ट के लिए चार चरण की यात्रा:

  • इकट्ठा- मानव कचरे को स्वच्छ शौचालय एवं मुंह बंद गड्ढे या टैंक में संग्रहीत किया जाना चाहिए, जो कि मानव संपर्क से अलग है।
  • ढुलाई- पाइप्स या शौचालय खाली करने वाले सेवाओं को मानव कचरे को उपचार क्रिया के चरण में ले जाना चाहिए।
  • उपचार क्रिया- मानव अपशिष्ट को उपचार क्रिया से अपशिष्ट जल और अपशिष्ट उत्पादों में संसाधित किया जाना चाहिए, जो कि पर्यावरण में सुरक्षित वापस आ सकता हैं। 
  • निपटान या पुन: उपयोग. सुरक्षित रूप से उपचारित किए गए मानव कचरे का उपयोग ऊर्जा उत्पादन या खाद्यान्न उत्पादन में उर्वरक के तौर पर किया जा सकता है।

स्वच्छता के बारे में मुख्य तथ्य:

  • 4.5 अरब लोगों (विश्व की आबादी का साठ प्रतिशत) के घरों में शौचालय नहीं है या सुरक्षित मल प्रबंधन नहीं है।
  • विश्वभर में 869 मिलियन लोग खुले में शौच करते हैं तथा उनके पास शौचालय की सुविधा नहीं है।
  • मल संदूषण के खिलाफ़ असुरक्षा के साथ 1.8 बिलियन लोग पीने के पानी के अपरिष्कृत/अशोधित स्रोत का उपयोग करते हैं।
  • समाज द्वारा उत्पन्न अस्सी प्रतिशत अपशिष्ट वैश्विक स्तर पर उपचार क्रिया या पुन: उपयोग किए बिना पारिस्थितिकी तंत्र में पुनः बह जाते है।
  • 2.9 अरब लोग (वैश्विक आबादी का उनतालीस प्रतिशत) सुरक्षित- प्रबंधन युक्त स्वच्छता सेवा का उपयोग करते हैं, जिसमें मल का सुरक्षित निपटान, उसी स्थान पर या बाहर ले जाकर किया जाना शामिल है।
  • स्वच्छता में बढ़ोत्तरी के साथ सुरक्षित पानी एवं बेहतर स्वच्छता से प्रतिवर्ष लगभग 842,000 मृत्यु को रोका जा सकता है।

स्वच्छता का महत्व डायरिया/दस्त, पेट के कीड़े, सिस्टोसोमियासिस और ट्रेकोमा सहित कई रोगों को रोकने के लिए स्वच्छता महत्वपूर्ण है।घरों एवं स्कूलों में स्वच्छता की सार्वभौमिक पहुंच आवश्यक है:

  • रोगों को कम करना।
  •  बच्चों की पोषण संबंधी स्थिति में बढ़ोत्तरी करना।
  •  बच्चों के स्वास्थ्य/तंदुरुस्ती एवं सुरक्षा को बढ़ाना।
  •   विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के लिए शैक्षिक संभावनाएं बढ़ाना।

Reference : https://hi.nhp.gov.in

“दरवाजा बंद” अभियान

30 मई, 2017 को केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने देशभर के गांवों में शौचालयों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए “दरवाजा बंद अभियान” का शुभारंभ किया गया।

अमिताभ बच्चन की अगुवाई में मोदी सरकार का “दरवाजा बंद अभियान“, भारत को खुले में शौच से मुक्त बनाने के उद्देश्य से है।

विद्या बालन, जो स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर रही हैं, ने भी लोगों को इस बारे में अवगत करवाया है।

इस अभियान में कुछ बङे हास्य कलाकर एवं बड़े सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने इस अभियान का प्रचार करने हेतू काफी मेहनत की है और काफी हद तक वे सफल भी हुए है।

Darwaza Band Campaign

इस अभियान को विश्व बैंक से समर्थन प्राप्त है और इसे देशभर में चलाया जाएगा।

इस अभियान का उद्देश्य उन लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना है, जिनके घरों में शौचालय है फिर भी वे इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं।

Reference : https://www.indiaolddays.com

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