जर्मनी का एकीकरण में बाधक तत्व (jarmanee ka ekeekaran mein baadhak tatv)
जर्मनी का एकीकरण में बाधक तत्व – संपूर्ण जर्मनी छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था तथा प्रत्येक राज्य सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से एक दूसरे से भिन्न था। इन्हीं भिन्नताओं के फलस्वरूप जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं हो सका। इसके अलावा जर्मनी के एकीकरण के मार्ग में बाधक अन्य कारण भी थे जो निम्नलिखित हैं-
आस्ट्रिया का प्रतिक्रियावादी शासन
वियना काँग्रेस ने संपूर्ण जर्मनी पर आस्ट्रिया का आधिपत्य स्वीकार कर लिया था तथा आस्ट्रिया का चांसलर मैटरनिख भी जर्मनी के एकीकरण के विरुद्ध था। उसने जर्मनी के राष्ट्रीय आंदोलनों का कठोरता से दमन किया तथा कार्ल्सबाद आदेशों के माध्यम से राष्ट्रवादी संस्थाओं एवं संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रशा के सम्राट द्वारा जर्मनी के एकीकरण के जो प्रयास किए गए उनका आस्ट्रिया सम्राट द्वारा घोर विरोध किया गया।

बौद्धिक जागृति का अभाव
जर्मन राज्यों में रहने वाले लोग नवीन विचारों से अनभिज्ञ थे, यहाँ रूढिगत विचारधाराएं ही प्रचलित थी। यहाँ के शासकों के विचार संकीर्ण थे तथा एकीकृत जर्मनी की परिकल्पना इनकी समझ से बाहर का विचार था।
जर्मन राज्यों की आपसी प्रतिस्पर्द्धा
जर्मन राज्यों के लिए राष्ट्रीय एकता का कोई महत्त्व नहीं था। यहाँ के शासक अपनी स्वतंत्रता और अपने हितों की रक्षा के लिए एक दूसरे राज्य से निरंतर संघर्षरत थे।
विदेशी शक्तियां
यूरोपीय राष्ट्रों में इंग्लैण्ड की रूचि हैनोवर में थी। जर्मनी की श्लेसविग एवं होलस्टीन डचियों पर डेनमार्क का अधिकार था। फ्रांस भी नहीं चाहता था कि सीमा पर एक शक्तिशाली राज्य का निर्माण हो। आस्ट्रिया भी यथास्थिति ही बनाए रखना चाहता था अतः विदेशी राज्यों के स्वार्थ जर्मनी का एकीकरण में बाधा उत्पन्न कर रहे थे।
