बाजीराव प्रथम एवं राजपूत राज्य (Bajirao I and Rajput kingdom)
बाजीराव प्रथम – बालाजी विश्वनाथ की मृत्यु के बाद शाहू ने उसके बीस वर्षीय पुत्र बाजीराव को अपना पेशवा नियुक्त किया। बाजीराव एक साहसी सैनिक, रणकुशल सेनानायक तथा कूटनीति में दक्ष राजनीतिज्ञ था। छापामार युद्ध पद्धति में तो वह अत्यन्त ही निपुण था। यद्यपि बालाजी विश्वनाथ ने तात्कालिक समस्याओं का समाधान किया था, लेकिन वह उनका स्थायी समाधान नहीं कर पाया था।
अनेक मराठा सरदार और कोल्हापुर का शंभाजी द्वितीय (ताराबाई का पुत्र) अभी भी शाहू के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे थे। मुगल दरबार का प्रमुख अमीर व दक्षिण का सूबेदार निजाम-उल-मुल्क दक्षिण में हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य की स्थापना करना चाहता था।
किन्तु बाजीराव ने बङे ही धैर्य, साहस और लगन से इन समस्याओं का सामना किया। वह साम्राज्यवादी नीति का प्रबल पोषक था और दुर्बल मुगल साम्राज्य पर प्रहार करके उत्तर-भारत के मराठों का वर्चस्व स्थापित करना चाहता था।
उसने कहा था, हमें इस जर्जर वृक्ष (मुगल साम्राज्य) के तने पर आक्रमण करना चाहिये, शाखाएँ तो स्वयं ही गिर जायेंगी। यदि हम अपने संघर्ष को आगे बढायें, तो मराठा ध्वज कृष्णा से अटक तक फहरायेगा। बाजीराव की उत्तर की ओर मराठा-प्रसार नीति ने राजपूतों व मराठों को आमने-सामने लाकर खङा कर दिया।

उत्तर की ओर मराठा-प्रसार नीति से राजपूतों को विशेष रूप से चिन्ता होने लगी। राजपूतों की चिन्ता के दो कारण थे -1.)मुगल साम्राज्य की पतनोन्मुख स्थिति का लाभ उठाकर राजपूत शासक अपने-अपने राज्यों की सीमाओं का विस्तार करने की आकांक्षा रखते थे।
बाजीराव की प्रसार नीति के फलस्वरूप उनकी आशाओं पर पानी फिर सकता था। 2.) यह स्वाभाविक ही था कि, गुजरात व मालवा पर नियंत्रण स्थापित करने तथा दिल्ली तक जाने की इच्छा रखने वाले मराठे, मार्ग में पङने वाले राजस्थान के भाग को भी अपने प्रभाव में लाना चाहेंगे। इसके अलावा, गुजरात और मालवा पर मराठा नियंत्रण स्थापित हो जाने से मराठों के लिये इन प्रान्तों से सटे हुए राजपूत राज्यों पर आक्रमण करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
अतः हम कह सकते हैं, कि शक्तिहीन एवं पतनोन्मुख मुगल साम्राज्य ने मराठों तथा राजपूत राज्यों को आमने-सामने ला खङा किया। सवाई जयसिंह और अभयसिंह जैसे शासकों ने कभी मुगलों के सहयोग से, कभी आपसी सहयोग से और कभी व्यक्तिगत ढंग से मराठों को रोकने का प्रयास किया।
References : 1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

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