मुसोलिनी की गृह नीति क्या थी
मुसोलिनी की गृह नीति क्या थी
मुसोलिनी की गृह नीति
अपने फासीवादी सिद्धांतों के आधार पर मुसोलिनी ने निम्नलिखित गृहनीति अपनाई –
- मुसोलिनी की गृह नीति – मुसोलिनी द्वारा सत्ता ग्रहण करने के समय देश की आर्थिक स्थिति अत्यन्त ही दयनीय थी। बजट में करोङों रूपयों का घाटा चल रहा था तथा मुद्रा का मूल्य गिरता जा रहा था। मुसोलिनी ने व्यय में कमी की तथा कुछ नए कर लगाकर बजट को संतुलित किया।

- देश में व्याप्त बेरोजगारी को दूर करने के लिये मुसोलिनी ने सार्वजनिक निर्माण कार्यों को प्रोत्साहन दिया। इससे अनेक बेरोजगाहों को रोजगार मिल गया।
- मुसोलिनी ने कृषि की उन्नति की ओर ध्यान दिया। श्रेष्ठ किस्म की खाद और औजारों का आविष्कार किया गया, किसानों को वैज्ञानिक ढँग से खेती करने का तरीका बताया गया और बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाया गया। इससे कृषि उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई।
- मुसोलिनी ने इटली के औद्योगिक विकास की ओर भी ध्यान दिया। विद्युत उत्पादन में वृद्धि करके कोयले की कमी को पूरा किया गया। देस में अनेक नए कारखाने खोलकर देश को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया।
- देश में जनतंत्र को पूर्णतः समाप्त कर दिया। विरोधी दलों को अवैध घोषित किया तथा अपने विरोधियों को बंदी बनाकर अनिश्चित काल के लिये जेल में ठूँस दिया। समाचार-पत्रों पर अनेक प्रतिबंध लगा दिए गए, जिससे अनेक समाचार-पत्रों का प्रकाशन बंद हो गया। निर्वाचन कानून में परिवर्तन किया गया और नए कानून के अन्तर्गत कराए गए चुनाव द्वारा चेम्बर ऑफ डेपूटीज में फासिस्ट दल का एकाधिकार स्थापित हो गया। अब चेम्बर ऑफ डेपूटीज का कार्य मुसोलिनी के प्रस्तावों का समर्थन करना ही रह गया था।
- शिक्षा संस्थाओं में फासिस्टवादी सिद्धांतों की शिक्षा देना अनिवार्य कर दिया। गैर फासिस्ट शिक्षकों को पदच्युत कर उनके स्थान पर फासिस्ट शिक्षकों को नियुक्त किया गया। सैनिक शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया गया। वस्तुतः शिक्षा का उद्देश्य युवकों को प्रशिक्षित सैनिक बनाना था।

मुसोलिनी ने पोप के साथ भी समझौता किया। पोप और राज्य के बीच इटली के एकीकरण के समय से ही संघर्ष चल रहा था, क्योंकि पोप के समस्त प्रदेश छीन लिए गए थे। अतः पोप राज्य विरोधी हो गया और उसने इटली की कैथोलिक जनता को राज्य से संबंध विच्छेद करने का आदेश दिया।
इससे राज्य को यह भय उत्पन्न हुआ कि कहीं यूरोप के कैथोलिक राज्य संयुक्त रूप से इटली सरकार के विरुद्ध हस्तक्षेप न कर दें। मुसोलिनी की धर्म में श्रद्धा ने होते हुए भी अपने पोप से समझौता करना ही उचित समझा। अतः 11 फरवरी, 1929 को पोप के साथ समझौता कर लिया जिसे लेटरन समझौता कहते हैं।
इस समझौते के अनुसार पोप ने रोम नगर से अपना अधिकार त्याग दिया तथा मुसोलिनी ने पोप को वेटिकन नगर का सार्वभौम राजा स्वीकार कर लिया और इटली सरकार ने पोप को 10 करोङ डॉलर वार्षिक देना स्वीकार किया।
मुसोलिनी की गृह नीति के परिणामस्वरूप पोप को विदेशों से संबंध रखने, अपना रेडियो स्टेशन चलाने तथा डाक-टिकट प्रसारित करने का अधिकार मिल गया। कैथोलिक धर्म को इटली का राज्य धर्म स्वीकार कर लिया। शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गयी। धार्मिक विवादों को कानूनी विवादों के समान मान्यता प्रदान कर दी गयी।
चर्च के पादरियों को नियुक्त करने का अधिकार पोप को दिया गया, किन्तु नियुक्ति से पूर्व इटली सरकार की अनुमति आवश्यक थी। क्योंकि पोप ऐसे किसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकता था जो फासिस्टवादी सिद्धांतों के विरुद्ध हो। चर्च के सभी पदाधिकारियों को वेतन देने का दायित्व सरकार का ठहराया गया।
मुसोलिनी की गृह नीति के अनुसार मुसोलिनी ने देश में शांति और व्यवस्था स्थापित की और इटली के आर्थिक विकास द्वारा देश को स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया। मुसोलिनी की विवेकशील गृह नीति के फलस्वरूप इटली की जनता उसकी समर्थक बन गई। जनता का समर्थन प्राप्त कर मुसोलिनी ने सशक्त विदेश नीति अपनाई।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा
Online References wikipedia : मुसोलिनी की गृह नीति