खुत्बा क्या होता था?

खुत्बा या खुतबा उस व्याख्यान को कहते हैं, जो दोनों ईदों तथा जुमे की नमाज के समय पढा जाता था। इसमें खुदा की स्तुति तथा मुहम्मद साहब की प्रशंसा के उपरांत तत्कालीन बादशाह का वर्णन होता था।
मध्ययुगीन खुतबों में मुस्लिम राजा का नाम भी सम्मिलित कर लेने की प्रथा हो गई थी। किसी शासक का नाम खुतबा में दिया जाना तथा प्रचलित सिक्कों पर उसका नाम आ जाना प्रभुत्व का परिचायक माना जाता था। इस कारण भारत के मुस्लिम सुल्तान और मुगल सम्राट् किसी स्थान या प्रदेश पर अधिकार करने के पश्चात् वहाँ से अपने सिक्के चलाते और अपने नाम का खुतबा पढ़वाते थे।
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