अहमदशाह अब्दाली (Ahmed Shah Abdali) कौन था?

अहमद शाह अब्दाली, जिसे अहमद शाह दुर्रानी भी कहा जाता है, सन 1748 में नादिरशाह की मौत के बाद अफगानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना। ताजपोशी के समय, साबिर शाह नाम के एक सूफी ने अहमद शाह अब्दाली को दुर-ए-दुर्रान का खिताब दिया था जिसका मतलब होता है मोतियों का मोती।
अहमद शाह अब्दाली के विशाल साम्राज्य का प्रसार पश्चिम में ईरान से लेकर पूरब में हिंदुस्तान के सरहिंद तक था। उसकी बादशाहत उत्तर में मध्य एशिया के अमू दरिया के किनारे से लेकर दक्षिण में हिंद महासागर के तट तक फैली हुई थी।
उसने भारत पर सन् 1748 तथा 1767 ई. के बीच सात बार चढ़ाई की।
अहमदशाह अब्दाली के प्रमुख आक्रमण निम्नलिखित हैं-
- उसने पहला आक्रमण 1748 ई. में पंजाब पर किया, जो असफल रहा।
- 1749 में उसने पंजाब पर दूसरा आक्रमण किया और वहाँ के गर्वनर ‘मुईनुलमुल्क’ को परासत किया।
- 1752 में नियमित रुप से पैसा न मिलने के कारण पंजाब पर उसने तीसरा आक्रमण किया।
- उसने हिन्दुस्तान पर चौथी बार आक्रमण ‘इमादुलमुल्क’ को सजा देने के लिए किया था। 1753 ई. में मुईनुलमुल्क की मृत्यु हो जाने के बाद इमादुलमुल्क ने ‘अदीना बेग ख़ाँ’ को पंजाब को सूबेदार नियुक्त किया। (मुईनुलमुल्क को अहमदशाह अब्दाली ने पंजाब में अपने एजेन्ट तथा गर्वनर के रुप में नियुक्त किया था)। इस घटना के बाद अब्दाली ने हिन्दुस्तान पर हमला करने का निश्चय किया।
उसने अपना सबसे बड़ा हमला सन 1757 में जनवरी माह में दिल्ली पर किया। 23 जनवरी, 1757 को वह दिल्ली पहुँचा और शहर अधिकार कर लिया। उस समय दिल्ली का शासक आलमगीर (द्वितीय) था। वह बहुत ही कमजोर और डरपोक शासक था। उसने अब्दाली से अपमानजनक संधि की जिसमें एक शर्त दिल्ली को लूटने की अनुमति देना था। अहमदशाह एक माह तक दिल्ली में ठहर कर लूटमार करता रहा। वहां की लूट में उसे करोड़ों की संपत्ति हाथ लगी थी।उसकी लूट का आलम यह था कि पंजाबी में एक कहावत मशहूर हो गई थी कि, खादा पीत्ता लाहे दा, रहंदा अहमद शाहे दा अर्थात जो खा लिया पी लिया और तन को लग गया वो ही अपना है, बाकी तो अहमद शाह लूट कर ले जाएगा।