बसीन की संधि किस-किस के बीच हुई?

बसीन की संधि पेशवा बाजीराव द्वितीय और अंग्रेजों के बीच हुई थी।
बसीन की संधि का मुख्य कारण मराठों का आपसी संघर्ष था। मराठे आपस में लङ रहे थे,जिसका फायदा अंग्रेजों ने उठाया।
बसीन की संधि की शर्तें निम्नलिखित हैं-
- पेशवा अपने राज्य में 6,000 अंग्रेज सैनिकों की एक सेना रखेगा तथा इस सेना के खर्चे के लिए 26 लाख रुपये वार्षिक आय का भू-भाग अंग्रेजों को देगा।
- पेशवा ने अंग्रेजी संरक्षण स्वीकार कर भारतीय तथा अंग्रेज पदातियों की सेना को पूना में रखना स्वीकार किया।
- पेशवा बिना अंग्रेजों की अनुमति के मराठा राज्य में किसी अन्य यूरोपियन को नियुक्ति नहीं देगा और न अपने राज्य में रहने की अनुमति देगा।
- पेशवा ने सूरत नगर कंपनी को दे दिया।
- पेशवा ने निजाम से चौथ प्राप्त करने का अधिकार छोङ दिया और अपने विदेशी मामले कंपनी के अधीन कर दिये।
- पेशवा के जो निजाम और गायकवाह के साथ झगङे हैं, उन झगङों के पंच निपटारे का कार्य कंपनी को सौंप दिया ।
- भविष्य में किसी राज्य के साथ युद्ध,संधि अथवा पत्र-व्यवहार बिना अंग्रेजों की अनुमति के नहीं करेगा।
बसीन की संधि का महत्त्व-
बसीन की संधि भारतीय इतिहास की एक अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण घटना है। इस संधि के द्वारा पेशवा ने मराठों के सम्मान एवं स्वतंत्रता को अंग्रेजों के हाथों में बेच दिया था। जिससे मराठा शक्ति की प्रतिष्ठा को भारी धक्का लगा। किन्तु अंग्रेजों के लिए यह संधि अत्यधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुई। सिडनी ओवन ने लिखा है कि इस संधि के बाद संपूर्ण भारत में कंपनी राज्य स्थापित हो गया। वास्तव में इस संधि का महत्त्व आवश्यकता से अधिक बताया गया है। इस संधि का सबसे बङा दोष यह था कि अब अंग्रेजों का मराठों से युद्ध प्रायः निश्चित हो गया। क्योंकि वेलेजली ने मराठों के आंतरिक झगङों को तय करने का उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लिया था। वेलेजली ने कहा था कि इससे शांति तथा व्यवस्था बनी रहेगी, किन्तु इसके परिणामस्वरूप सबसे व्यापक युद्ध हुआ। वेलेजली ने संधि का औचित्य बताते हुए कहा था कि अंग्रेजों को मराठों के आक्रमण का भय था, किन्तु जब मराठे स्वयं अपने पारस्परिक झगङों में उलझे हुए थे, तब फिर अंग्रेजों पर आक्रमण करने का प्रश्न ही कहाँ उत्पन्न होता है। वस्तुतः वेलेजली भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार पर तुला हुआ था और वह मराठों को ऐसी संधि में उलझा देना चाहता था , जिससे कि ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार निर्बाध रूप से होता रहे। अतः बसीन की संधि ने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा कर दी थी।