अलाउद्दीन खिलजी कौन था

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अलाउद्दीन खिलजी ( 1296-1316 ई. )का वास्तविक नाम अली गुर्शास्प था।यह 22 अक्टूबर 1296 को दिल्ली का सुल्तान बना। यह दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था।
अलाउद्दीन खिलजी का राज्यारोहण दिल्ली में स्थित बलबन के लाल महल में हुआ।इसने सिकंदर-ए-सानी की उपाधि धारण की । इसने यामिनि-उल-खलीफा तथा नासिरी -अमीर -उल -मोमनीत जैसी उपाधियां भी धारण की थी।
अलाउद्दीन खिलजी के अभियान-
- अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात, जैसलमेर, रणथंभौर, चित्तौङ, मालवा, उज्जैन, धारानगरी, चंदेरी, सिवाना तथा जालौर पर विजय प्राप्त की।
- यह प्रथम मुस्लिम शासक था जिसने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और उसे अपने अधीन कर लिया।दक्षिण भारत की विजय का श्रेय अलाउद्दीन खिलजी के सेनानायक मलिक काफूर को दिया जाता है। मलिक काफूर एक हिंदू हिंजङा था जिसे नुसरत खाँ ने गुजरात विजय के दौरान 1000 दीनार में खरीदा था जिसके कारण उसे हजारदीनारी भी कहा जाता है।
अलाउद्दीन खिलजी की नीतियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नीति उसकी बाजार नियंत्रण की नीति थी।
अलाउद्दीन खिलजी को सर्वप्रथम उलेमा वर्ग के प्रभाव से स्वतंत्र होकर शासन करने श्रेय दिया जाता है।
अलाउद्दीन की कर व्यवस्था-
- इसन भूराजस्व की दर को बढाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया।
- राजत्व का दैवीय सिद्धांत प्रतिपादित करने वाला शासक भी अलाउद्दीन खिलजी ही था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने अपने शासनकाल में दो नए कर चराई ( दुधारू पशुओं पर ) एवं गढी ( घरों एवं झोंपङी पर ) लगाये।
- इसने इक्ता, इनाम, मिल्क तथा वक्फ भूमि को खालसा ( राजकीय ) भूमि में परिवर्तित कर दिया।
- गैर – मुस्लिम लोगों से जजिया कर और मुस्लिमों से जकात कर वसूला जाता था।
अलाउद्दीन खिलजी की सैन्य व्यवस्था-
- अलाउद्दीन खिलजी प्रशासनिक क्षेत्र में महान सेनानी था।
- इसने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना रखने की प्रथा चलाई।अलाउद्दीन खिलजी ने घोङा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत की।
दरबारी विद्वान-
- अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में प्रमुख विद्वान अमीर खिसरो और हसन देहलवी निवास करते थे।
- अमीर खुसरो ने सितार व तबले का आविष्कार किया। अमीर खुसरो को अलाउद्दीन ने तूति – ए – हिंद ( भारत का नेता ) के नाम से संबोधित किया।
- इसने दक्षिण भारत के एक प्रसिद्ध गायक गोपाल नामक गायक को अपने दरबार में बुलाया था, जिसका अमीर खुसरो के साथ गायन के क्षेत्र में मुकाबला भी हुआ था।
मृत्यु –
- जलोदर रोग से ग्रसित अलाउद्दीन खिलजी ने अपना अन्तिम समय अत्यन्त कठिनाईयों में व्यतीत किया और 5 जनवरी 1316 ई. को इसकी मृत्यु हो गई।
निर्माण कार्य-
- स्थापत्य कला के क्षेत्र में अलाउद्दीन खिलजी ने वृत्ताकार ‘अलाई दरवाजा’ अथवा ‘कुश्क-ए-शिकार’ का निर्माण करवाया। उसके द्वारा बनाया गया ‘अलाई दरवाजा’ प्रारम्भिक तुर्की कला का एक श्रेष्ठ नमूना माना जाता है। इसने दिल्ली के समीप सीरी के किले को अपनी राजधानी बनाया और सीरी किला , हजार सितून (खम्भा ) महल तथा अलाई दरवाजा और कौशिक -ए- सीरी का निर्माण करवाया।
साम्राज्य विस्तार-
इसका साम्राज्य विस्तार अफगानिस्तान से लेकर उत्तर- मध्य भारत तक फैला था। अलाउद्दीन के बाद इतना बङा भारतीय साम्राज्य 300 वर्षों तक कोई भी शासक स्थापित नहीं कर पाया।
Reference : https://www.indiaolddays.com/