लिपजिंग का युद्ध
लाइपत्सिग का युद्ध (Battle of Leipzig या Battle of the Nations) सैक्सोनी के लाइपत्सिग नामक स्थान पर लङा गया था।
नेपोलियन बोनापार्ट के मास्को अभियान के तुरंत बाद यूरोप की कुछ शक्तियों ने चौथी बार फ्रांस के विरुद्ध गुट बनाया। इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया, प्रशिया और रूस इस गुट के प्रमुख सदस्य थे। इस गुट का नेता जार अलेक्सांदर प्रथम था। इंग्लैण्ड के सेनापति ड्यूक ऑफ वेलिंगटन ने स्पेन में फ्रांसीसी सेनाओं को पराजित कर राजधानी मेड्डि पर अधिकार कर लिया। जोसेफ बोनापार्ट फिर स्पेन छोङकर भाग गया। उधर अक्टूबर, 1813 ई. में रूस, आस्ट्रिया और प्रशिया ने मिलकर लिपजिंग (लाइपजिग) के युद्ध में नेपोलियन को बुरी तरह पराजित कर राइन नदी के उस पार खदेङ दिया।
चार दिन तक चलने वाला यह युद्ध इतिहास में राष्ट्रों का युद्ध नाम से प्रसिद्ध है। इसके बाद भी गुट के सदस्यों ने नेपोलियन को समझौते के लिये आमंत्रित किया था, परंतु नेपोलियन ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। तब रूस और प्रशिया की सेनाएँ पेरिस में घुस गई। नेपोलियन को बंदी बना लिया गया। उसे सिंहासन से हटा दिया गया और एल्बा द्वीप में रहने के लिये उसे भेज दिया गया। इसके साथ ही लुई 18वें को फ्रांस का सम्राट बनाया गया। नेपोलियन की सम्राट की पदवी को कायम रखा गया और एल्बा द्वीप का स्वतंत्र शासन भी उसे सौंप दिया गया। इस प्रकार, नेपोलियन को पहली बार भयंकर पराजय एवं अपमान का मजा चखना पङा।
लाइपत्सिग की पराजय ने नेपोलियन के समूचे तंत्र को ध्वस्त कर दिया, अब उसकी महाद्वीपीय व्यवस्था समाप्त हो गई।
इस प्रकार यह युद्ध प्रथम विश्वयुद्ध के पहले यूरोप की यह सबसे बड़ी लड़ाई थी।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा