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बवासीर में हल्दी का उपयोग | Bavaaseer mein haldee ka upayog | Use of turmeric in piles
बवासीर में हल्दी का उपयोग

- हल्दी के साथ मूली खाने से बवासीर में लाभ होता है।
- हल्दी में रक्तस्त्राव रोकने तथा रक्त को जमाने का गुण होता है। अतः इसके सेवन करने से खूनी बवासीर में बहुत लाभ होता है।
- हल्दी चूर्ण 3 ग्राम तथा समान मात्रा में काला नमक सुबह-शाम 2 सप्ताह तक बकरी के दूध की लस्सी या ताजे पानी के साथ लें तथा गरम खाद्य पदार्थ व गरिष्ठ भोजन का सेवन न करें और कब्ज न होने दें।
- हल्दी चूर्ण को बवासीर के मस्सों पर लगाएँ।
- हल्दी को ग्वारपाठे के गूदे में घिसकर शोथयुक्त अर्श पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
- हल्दी चूर्ण को सेहुङ (थूहर) के दूध में घोलकर बवासीर के मस्सों पर प्रतिदिन प्रातः शौच के बाद मल दें। मस्से सूखने लगेंगे।
- हल्दी, सुहागा, गुङ एवं चीते (जङी-बूटी) की जङ को समान मात्रा में जल में पीसकर मस्सों पर कुछ दिन तक गाढा लेप करने से बवासीर से मुक्ति मिलती है।
- मूली को थोङी सी खोखली करके 24 ग्राम रसौत रखकर मूली का मुँह बंद करके उपले की राख में तपाकर दूसरे दिन रसौत को निकालकर मूली के ही रस में छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम पानी के साथ ये गोलियाँ लें।
- हल्दी को घी में पीसकर मस्सों पर लेप करने से भी लाभ होता है।
- आमां हल्दी, नागकेशर, लाल चंदन – तीनों को बारीक पीसकर तीन बार छानकर शीशी में भर लें। आधा चम्मच (3 ग्राम) सुबह-शाम गाय के मीठे गुनगुने दूध के साथ लाभ न होने तक सेवन करें। कब्ज बिलकुल न हो। बादी व खून बवासीर के लिये परीक्षित है।
हल्दी के अन्य उपयोग
- हल्दी के गुण एवं प्रकार
- पसलियों में दर्द होने पर हल्दी का उपयोग
- बुखार होने पर हल्दी का उपयोग
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