त्याग प्रथा क्या थी?

त्याग प्रथा – राजस्थान में रियासत काल में राजपूत जाति तथा उच्च कुल के सम्पन्न वर्ग द्वारा विवाद के अवसर पर अन्य निम्न जातियों को दान-दक्षिणा दी जाती थी। विवाह के अलावा इस भार के कारम, समाज में आर्थिक रूप से कमजोरी उत्पन्न हो जाती। इस प्रथा को बंद करने या नियंत्रित करने के लिये निम्न कानून बनाये गये –
सर्वप्रथम जोधपुर राज्य में 1841 ई. में महाराजा मानसिंह ने त्याग प्रथा पर नियंत्रण करने के लिये कुछ नियम बनाये गये जिसमें त्याग दी जाने वाली राशि निर्धारित होती थी। 1844 ई. में बीकानेर के शासक रतनसिंह द्वारा नियम बनाया गया कि सरदार अपनी वास्तविक हैसियत के अनुसार ही विवाह में खर्च करेगा तथा कम आय वाले लोगों के लिये त्याग हेतु 10 रुपये निश्चित किये गये। जयपुर रियासत में जॉन लङलू द्वारा 1844 ई. में प्रतिबंध किया गया।
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