द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध कब हुआ था?

द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध 1848-49 ई. में हुआ था। द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध का तात्कालिक कारण था – मुल्तान के सूबेदार मूलराज का विद्रोह,मूलराज, शेरसिंह और छत्तर सिंह का नेतृत्व लार्ड गफ ने किया,सिक्ख सेना शेर सिंह के नेतृत्व में लङी, यह युद्ध अनिर्णीत समाप्त हुआ। द्वितीय आंग्ल – सिक्ख युद्ध के समय भारत के गवर्नर -जनरल लार्ड डलहौजी थे। डलहौजी ने चिलियावाला युद्ध के परिणाम के बारे में कहा कि हमने भारी खर्च उठाकर एक ऐसी विजय प्राप्त की है, जो पराजय के बराबर है। इस युद्ध के बाद डलहौजी ने गफ के स्थान पर चार्ल्स नेपियर को प्रधान सेनापित बनाया।नेपियर ने सिक्ख सेना को 21फरवरी, 1849 को गुजरात युद्ध में बुरी तरह पराजित किया। गुजरात के युद्ध को तोपों का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।इस युद्ध को जीतने के बाद हेनरी लॉरेंस, लार्ड एलनबरो की इच्छा के विरुद्ध डलहौजी ने 30 मार्च, 1949 को चार्ल्स नेपियर के नेतृत्व में पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया। महाराजा दिलीप सिंह को अंग्रेजों ने 5लाख रुपये की वार्षिक पेंशन पर रानी झिंदन के साथ इंग्लैण्ड भेज दिया ।
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