भारत और श्रीलंका के संबंध कैसे थे
17.13 मिलियन आबादी वाला यह देश ( श्रीलंका ) भारत से दक्षिण में स्थित पाक जलडमरूमध्य से पृथक होता है। यहां बहुमत संख्या में सिंहली तथा अल्पमत संख्या में तमिल भाषा-भाषी लोग रहते हैं।
भारत की तरह श्रीलंका भी 150 वर्षों तक विदेशी शक्तियों द्वारा उपनिवेशीकरण का शिकार रहा है।यहाँ पर सर्वप्रथम पुर्तगालियों ने अधिकार किया उसके बाद में डचों ने और अंत में उनका स्थान अंग्रेजों ने ले लिया।
यूरोपीय वाणिज्यिक कंपनी पुर्तगाली।
श्रीलंका के अधिकांश भारतीय प्रवासी जिसमें ज्यादातर दक्षिण भारत के थे- जिन्हें अंग्रेजों द्वारा चाय और रबङ के बागानों में काम करने के लिए ले जाया गया था। वे 1948 के सीलोन नागरिकता अधिनियम तथा 1949 के सीलोन संसदीय अधिनियम ( निर्वाचन कानून ) द्वारा भारतीय प्रवासियों को मताधिकार से वंचित कर दिया गया।
इस समस्या के समाधान के लिए जनवरी 1954 में श्रीलंका के राष्ट्रपति जान कोटले वाला नई दिल्ली आये और नेहरूके साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जो नेहरू-कोटले वाला समझौते के नाम से प्रसिद्ध है।
मार्च 1954 में श्रीलंका सरकार ने भारतीय मूल के नागरिकों के निवास आज्ञा पत्रों ( रेजीडेन्ट्स परमिट्स ) का नवीनीकरण स्थगित करने की आज्ञा दे दी, जिससे श्रीलंका में बसे भारतीय प्रवासियों को अवैध निवासी बना दिया गया।
1956 के भाषा-विवाद के कारण सिंहलियों एवं तमिलों में व्यापक पैमाने पर दंगे होने लगे। फलस्वरूप नागरिकता संबंधी विवाद और भाषा विवाद को समाप्त करने के लिए अक्टूबर, 1964 में भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और श्रीलंका के राष्ट्रपति श्रीमति सिरिमावो भंडार नायके के बीच एक समझौता हुआ। फिर भी यह विवाद पूरी तरह नहीं सुलझा और अब तक मनमुटाव का कारण बना हुआ है।
कच्चातिवु द्वीप का विवाद-
भारत और श्रीलंका के समुद्री तटों के बीच 200 एकङ का कच्चातिवु नामक एक छोटा सा द्वीप है, जिस पर नागफनी के अतिरिक्त कुछ नहीं उगता और आबादी भी नहीं के बराबर है। इस द्वीप पर दोनों देश प्रारंभ से ही अपना-2 आधिपत्य जताते थे।
यह विवाद इसलिए और बढ गया, क्योंकि इस द्वीप के आस-पास तेल के काफी बङे भंडार होने की आशा की जाती थी। परंतु भारत एक महान पङोसी की भूमिका का निर्वाह करते हुए इस छोटे से द्वीप के लिए विवाद को लंबा खीचना ठीक नहीं समझता। और 28 जून, 1974 में एक समझौते के तहत इसे श्रीलंका को दे दिया।
Reference : https://www.indiaolddays.com/