राजनीति शास्र के प्रमुख ग्रंथ तथा लेखक कौटिल्य और उसका अर्थशास्र, कामंदकीय नीतिसार, शुक्रनीति
प्राचीन काल में राजनैतिक व्यवस्था अर्थात् राजा तथा राज्य और राजा के कार्यों के बारे में अलग-2 विद्वानों ने अपने ग्रंथों में अलग-अलग मत दिये हैं, जिनके आधार पर हम उस समय की राजनैतिक व्यवस्था के बारे में जान पाते हैं, इन विद्वानों तथा उनके ग्रंथों का विवरण निम्नलिखित है-
कौटिल्य और उसके अर्थशास्र का इतिहास–
चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन निर्माण में कौटिल्य का सर्वप्रथम हाथ रहा है। वह इतिहास में विष्णुगुप्त तथा चाणक्य इन दो नामों से भी जाना जाता है।
चंद्रगुप्त मौर्य का प्रारंभिक जीवन परिचय।
ब्राह्मण तथा बौद्ध गंथों से उसके जीवन के विषय में जो सूचना मिलती है, उससे स्पष्ट होता है कि वह तक्षशिला के ब्राह्मण परिवार में उत्पन्न हुआ था। वह वेदों तथा शास्रों का ज्ञाता था और तक्षशिला के शिक्षा केन्द्र का प्रमुख आचार्य था। परंतु वह स्वभाव से अत्यंत रूढिवादी तथा क्रोधी था।
ब्राह्मण एवं बौद्ध ग्रंथों का विवरण।…अधिक जानकारी
कामंदकीय नीतिसार
इस ग्रंथ की रचना गुप्त काल में हुयी थी। इसके रचयिता का नाम अज्ञात है। काशी प्रसाद जायसवाल का मत है, कि इसका लेखक शिखरस्वामी था, जो चंद्रगुप्त द्वितीय का मंत्री था। किन्तु यह संदिग्ध है। विशाखादत्त तथा दंडी (5वी.-6वी.शता.) ने इसका उल्लेख नहीं किया है, जब कि 8 वी. शता. के वामन ने इसकी चर्चा की है। अतः इसकी रचना 600-700 ई. के मध्य हुयी होगी।…अधिक जानकारी
शुक्रनीति
शुक्रनीति के प्रणेता शुक्राचार्य थे। अर्थशास्र के बाद राज-शासन पर यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रचना है। इसके काल के विषय में विद्वानों में मतभेद है। इसके संपादनकर्त्ता ओपर्ट ने इसका समय ईसा से पूर्व की शताब्दियों में निर्धारित किया है। काशी प्रसाद जायसवाल के अनुसार यह 8 वी.शता. की रचना है।
यू.एन. घोषा तथा राजेन्द्रलाल मित्र ने इसका समय 1200-1600 ई. के बीच रखा है। इस प्रकार हम शुक्रनीति को 12-13वी.शता. की रचना मान सकते हैं।…अधिक जानकारी
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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