आस्ट्रेलोपिथिकस क्या है
आस्ट्रेलोपिथिकस (Australopithecus)
आस्ट्रेलोपिथिकस की खोज 17 जुलाई, 1959 ई. में हुई थी।
आस्ट्रेलोपिथिकस दक्षिण अफ्रीका में निवास करने वाला बानर मानव था। यह होमोनिड्स से मिलता जुलता था। यह लगभग चालीस लाख वर्ष पूर्व से बीस लाख पूर्व तक पाया जाता था।यह कपि व मानव के बीच कड़ी है। इसे रेमंड डार्ट ने खोजा था। इसे तवान्ग बेबी कहते हैं। यह पहला वानर – मानव था जो सीधा चलता था । यह नग्न रहता था और भरण-पोषण के लिए प्रकृति पर निर्भर था।

ओल्डुवई गोर्ज सर्वप्रथम 20 वीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में एक जर्मन तितली संग्राहक द्वारा खोजा गया था, लेकिन आगे चलकर यह ओल्डुवई नाम मेरी और लुईस लीकी के साथ गहराई से जुङ गया जिन्होंने यहाँ 40 वर्ष से भी अधिक समय तक शोधकार्य किया था। मेरी लीकी ने ही ओल्डुवई और लेतोली में पुरातत्त्वीय खुदाई कार्यों की देखभाल की थी और वहाँ की गई अनेक रोमांचक खोजों में उसका हाथ रहा था।
लुईस लीकी ने अपनी इस अद्भुत खोज का वर्णन इस प्रकार किया है,-
“उस दिन सवेरे जब मैं उठा तो मुझे सिर में दर्द और हलका बुखार महसूस हो रहा था। इच्छा तो नहीं थी पर मुझे शिविर में ही रहना पङा। चूंकि हम दोनों में से मैं काम पर नहीं जा रहा था, इसलिए मेरी के लिए काम पर जाना जरूरी हो गया। हमें अपना काम पूरा करने के लिए सिर्फ सात सप्ताह का ही समय मिला था जो जल्दी-जल्दी बीत रहा था। इसलिए मेरी अपने दोनों कुत्तों – सैली और टूट्स के साथ खुदाई पर चली गयी और मैं बेचैन होकर पीछे शिविर में रह गया।
कुछ समय बाद, शायद मेरी झपकी टूटी तो मैंने लैंड-रोवर की आवाज सुनी। वह बङी तेजी से शिविर की ओर आ रही थी। मुझे पल भर के लिए एक सपना सा आ गया, मुझे लगा कि मेरी को किसी जहरीले बिच्छू ने काट लिया है – वहाँ सैकङों की तादाद में बिच्छू थे, अथवा किसी सौंप ने डल लिया है जो कुत्तों की नजर से बच निकला होगा।
लैंड-रोवर गाङी खङखङाहट के साथ रुकी। और मैंने कई बार मेरी उसे पा लिया। मैंने उसे पा लिया। मैं अब भी सिरदर्द से लङखङा रहा था, मैं उसका मतलब नहीं समझ पाया। मैंने पूछा – अरे, क्या हुआ? क्या चोट खा बैठी? मेरी ने कहा, “उसी को बस उस आदमी को। हमारी आदमी को पा लिया, उसी को जिसे हम (पिछळे 23 वर्षों से) खोज रहे थे। जल्दी आओ, मुझे उसके दाँत मिल गए हैं।”
