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- प्राचीन भारत
भारतीय हिन्दू दर्शन : षड्दर्शन
आस्तिक दर्शन (षड्दर्शन) भारतीय दर्शन परंपरा में उन दर्शनों को कहा जाता है, जो वेदों को प्रमाण मानते थे।भारत में…
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द्विज : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
द्विज- द्विज का अर्थ है, दुबारा जन्म लेना।द्विज में ब्राह्मण ,क्षत्रिय, वैश्य आते थे।द्विज को जनेऊ धारण करने के लिए…
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पंच महायज्ञ एवं पंच ऋण
पंच महायज्ञ हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्त्वपूर्ण बताये गए हैं। धर्मशास्त्रों ने भी हर गृहस्थ को प्रतिदिन पंच महायज्ञ…
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वैदिक कालीन त्रि ऋण
तीन ऋणों का पालन एक गृहस्थ को करना पङता था। देव ऋण- मनुष्य के भाग्य निर्धारण में देवताओं की भूमिका…
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मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष
हिन्दू धर्म में पुरुषार्थ से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्येश्य से है। पुरुषार्थ =पुरुष +अर्थ अर्थात मानव को क्या…
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चार हिन्दू आश्रम व्यवस्था क्या थी
3 आश्रमों का विधान उत्तरवैदिक काल में हुआ। ब्रह्मचर्य आश्रमगृहस्थ आश्रमवानप्रस्थ आश्रम। संयास आश्रम पर अवैदिक परंपराओं (श्रमण परंपरा-जैन, बौद्ध…
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उपनयन (यज्ञोपवीत / जनेऊ) संस्कार
उपनयन संस्कार– उपनयन संस्कार को यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यज्ञोपवीत शब्द ( यज्ञ +उपवीत से…
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चार वर्ण या जाति व्यवस्था क्या थी
उत्तर वैदिक काल चार वर्णों में विभक्त था । ये चारों वर्ण अपने-अपने वर्ण के अनुसार कार्य करते थे। ब्राह्मण-…
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हिन्दू विवाह के प्रकार एवं इनके रिवाज
विवाह व्यवस्था- 8 प्रकार के विवाह प्रचलित थे। नीचे लिखे प्रारंभ के 4 विवाह को धर्म द्वारा सहमति प्राप्त थी तथा…
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वैदिक काल से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
ऋग्वैदिक तथा उत्तर वैदिक काल : महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर Reference : http://www.indiaolddays.com
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