16 महाजनपद काल : 600 ई. पू. का भारतवर्ष

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-
महाजनपद काल प्राचीन भारत में राज्य या प्रशासनिक इकाइयों को कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में भी इनका उल्लेख कई बार हुआ है।
महाजनपद काल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे – सूत्रकाल/ बुद्ध युग/ द्वितीयनगरीकरण की शुरुआत।
महाजनपद काल को जानने के लिए पुरातात्विक तथा साहित्यिक दोनों ही स्रोतों का महत्वपूर्ण स्थान है-
पुरातात्विक स्त्रोत-
- NBPW (उत्तरी काले पॉलिसदार मृदभांड)
- आहत सिक्के/ पंचमार्क सिक्के – 500 ई.पू. के लगभग पुराने सिक्के जो दूसरी शता. ई.पू. तक के प्राप्त हुये हैं। भारत में प्रचलित प्राचीन मुद्रा तथा मुद्रा प्रणाली की शुरुआत हुई। प्रारंभ में चांदी के आहत सिक्के सर्वाधिक थे, ताँबे , काँसे के सिक्के भी प्राप्त हुये हैं।
आहत सिक्के धातु के टुकङे पर चिन्ह विशेष ठप्पा मारकर (पीटकर) बनाए जाते थे। आहत सिक्कों पर चिन्हों के अवशेष भी मिलते हैं जैसे – मछली, पेङ, मोर, यज्ञ वेदी, हाथी, शंख, बैल, ज्यामीतीय चित्र (वृत्त, चतुर्भुज, त्रिकोण ), खरगोश।
इन सिक्कों का कोई नियमित आकार नहीं था। ये राजाओं द्वारा जारी नहीं किए गए माने जाते हैं , बल्कि व्यापारिक समूहों से संबंधित माने गए हैं।
अधिकांश आहत सिक्के पूर्वी यू.पी.(इलाहाबाद, शाहपुरा) तथा बिहार(मगध) से मिले हैं।
- खारवेल का हाथी गुंफा अभिलेख – (1 शता. ई.पू.)
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साहित्यिक स्रोत –
I.देशी साहित्य II.विदेशी साहित्य
I.देशी साहित्य –
- बौद्ध धर्म – सुत्तपिटक, विनयपिटक, अंगुतर निकाय, महावस्तु।
- जैन धर्म – भगवती सूत्र, कल्प सूत्र, औषाइयान, औपपाधिक सूत्र, आगम, आवश्यक चूर्णी।
- ब्राह्मण – वेदांग(शिक्षा, व्याकरण, ज्योतिष, निरुक्त, कल्प, छंद, ), पुराण।
II.विदेशी साहित्य –
- हेरोडोटस की हिस्टोरिका
- हिकेटियस की ज्योग्रोफी
- नियार्कस का विवरण
- अनासीक्रीटीस का विवरण – सिकंदर की जीवनी
- केसियस का विवरण
ऊपर जितने भी विद्वानों के नाम दिये गये हैं वे सभी विद्वान सिकंदर के समकालीन थे।
- प्लूटार्क, जस्टिन, कर्टियस का विवरण। ये सभी विद्वान सिकंदर के बाद के काल में आये थे लेकिन इन्होंने सिकंदर के बारे में भी विवरण दिया है।
महाजनपद काल-
16 महाजनपद हैं।15 महाजनपद नर्मदा के उत्तर में स्थित हैं। 16वाँ महाजनपद अस्सक / अश्मक गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। महाजनपद काल के कारण द्वितीय नगरीकरण का प्रारंभ हुआ।
अंगुत्तर निकाय,महावस्तु(बौद्ध ग्रंथ), भगवती सूत्र(जैन ग्रंथ) ये दोनों धर्म ग्रंथ16 महाजनपदों का उल्लेख करते हैं।
अंगुत्तर निकाय में गांधार तथा कंबोज का उल्लेख हुआ है।
महावस्तु में सिबी, दर्शन नामक महाजनपदों का उल्लेख किया गया है।
बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय में सबसे पहले व प्रमाणित 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है।
16 महाजनपद-
- काशी
- कोसल
- अंग
- वत्स
- मल्ल
- वज्जि
- सूरशेन(मथुरा)
- कुरु (दिल्ली, हरियाणा)
- चेदि (बुंदेलखंड)
- अश्मक (एम.पी.)
- पांचाल (यू. पी.)
- कंबोज (पाक.)
- गांधार (पाक. रावल पिंडी पेशावर)
- मत्स्य (पूर्वी राजस्थान)
- अवंति
- मगध (बिहार)
Reference : https://www.indiaolddays.com/