मुहम्मद बिन कासिम : भारत पर आक्रमण करने वाला पहला विदेशी

मुहम्मद बिन कासिम इस्लाम के शुरुआती काल में उमय्यद खिलाफत का एक अरब सिपहसालार था। मुहम्मद बिन कासिम ने भारत के पश्चिमी क्षेत्रों पर हमला बोल दिया। तथा सिंधु नदी के साथ लगे सिंध तथा पंजाब के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया।
यह अभियान भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाले मुसलमान राज का एक प्रमुख घटना क्रम माना जाता है।
मुहम्मद बिन कासिम का आरंभिक जीवन –
इसका जन्म सउदी अरब में हुआ था। इसके पिता की मृत्यु हो जाने पर कासिम का पालन- पोषण तथा युद्ध और प्रशासन की शिक्षा उसके ताऊ ने दी ।
कासिम ने अपने ताऊ की बेटी जुबैदाह से शादी कर ली, उसके बाद सिंध पर आक्रमण करने का अभियान किया। सिंध पर मकरान के तट के रास्ते से आक्रमण किया।
कासिम का भारत पर आक्रमण – यह भारत पर किसी विदेशी(मुसलमान) का प्रथम आक्रमण था-
638 ई. से 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में नौ इस्लामी खलीफाओं ने 15 बार पर सिंध पर आक्रमण किये थे।लेकिन 14 बार पराजित होने के बाद 15 वां आक्रमण किया जिसका नेतृत्व कासिम ने किया था। इस आक्रमण में कासिम की जीत हुई थी।
कासिम 15,000 घुङसवारों की सेना के साथ आया। यह आक्रमण जल व थल दोनों मार्गों से किया गया। सबसे पहले कासिम ने देवल के बंदरगाह पर अधिकार किया। देवल सिंध का मुख्य बंदरगाह था जो वर्तमान में करांची शहर के पास स्थित है।
कासिम के आक्रमण के समय सिंध का राजा दाहिर था। दाहिर चच तथा साहसीराम की पत्नी सोहंदी का पुत्र था। चच साहसीराम का ब्राह्मण मंत्री था जिसने साहसीराम की हत्या कर दी थी तथा वहां का शासक बन गया था। चच शाहसी शासक नहीं था। दाहिर उसी का पुत्र था , जो एक शाहसी तथा दूरदर्शी शासक था।
दाहिर सभी समुदायों को एक साथ लेकर चलता था। इसने हिन्दू धर्म को आश्रय दिया तथा बौद्धों को भी पूरी धार्मिक स्वतंत्रता दी थी। सिंध के समुद्री मार्गों से व्यापार होता था तथा दाहिर के समय में सिंध अत्यधिक समृद्ध क्षेत्र था।
इन दिनों में ईरान में इस्लामी खलीफोओं का शासन था। हज्जाज खलीफा का मंत्री था। एक अरब व्यापारी के जहाज को समुद्री लुटेरों द्वारा लूट लिये जाने की घटना को बहाना बनाकर खलीफा ने अपने सेनापति अब्दुल्ला के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण किया। लेकिन अब्दुल्ला को हारना पङा तथा अपनी जान से भी हाथ धोना पङा।
जब इस हार का पता खलीफा को चला तो खलीफा ने एक नौजवान सैनिक महम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में एक सेना भेजी। कासिम ने युद्ध में कूटनीति से काम लिया तथा 20 जून 712 ई. में रावर नामक स्थान पर दाहिर के साथ युद्ध किया। इस युद्ध में दाहिर मारा गया। सिंध पर कासिम का अधिकार हो गया।
कासिम ने सिंध के लोगों को मार गिराया तथा बौद्धों, वृद्धों , बच्चों तथा कन्याओं को बलात् मुसलमान बनाया । कन्याओं को गुलाम बनाया तथा ईरान के खलीफा के पास भेज दिया।
इसी समय कासिम ने तक्षशिला विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था।
अरबों का राज्य केवल सिंध के कुछ भाग तथा पंजाब के दक्षिणी भाग तक ही सीमित रहा। वह सारा क्षेत्र अब पाकिस्तान में शामिल है। लेकिन अरबों का शासक सिंध के पूर्व में नहीं बढ सका, क्योंकि गुजरात के बप्पा रावल ने उनको ऐसी करारी हार दी। 500 वर्षों तक मुसलमान शासकों की हिम्मत भारत की ओर आँख उठाकर देखने की नहीं हुई।
कासिम की मृत्यु-
कासिम को खलीफा ने कई यातनायें दी जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई।
चचनामा के अनुसार कासिम ने दाहिर की बेटियों को तोहफा बनाकर खलीफा के पास भेजा। जब खलीफा उनके पास गया तो उन्होंने अपने पिता दाहिर की मृत्यु का बदला लेने के लिए कहा कि मुहम्मद बिन कासिम ने पहले से ही उनकी इज्जत लूट ली थी। खलीफा ने कासिम को बैल की चमङी में लपेटकर दश्मिक मंगवाया और उसी चमङी में बंद होकर दम घुटने से उसकी मृत्यु हो गई।
Reference : https://www.indiaolddays.com/
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