तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था?

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तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (Third Anglo-Mysore War) का तात्कालिक कारण क्या था?

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तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध का तात्कालिक कारण – टीपू द्वारा ट्रावनकोर पर आक्रमण।

तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1790-92ई.)-

टीपू के समय लङे गये तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध का कारण अंग्रेजों ने टीपू के ऊपर इस आरोप को लगा कर तैयार किया कि उसने फ्रांसीसियों से अंग्रेजों के विरुद्ध गुप्त समझौता किया है तथा त्रावणकोर पर उसने (टीपू) आक्रमण किया। अंग्रेजों ने मराठों और निजाम के सहयोग से श्रीरंगपट्टनम् स्थित किले को घेरकर उसे संधि के लिए मजबूर किया। अंग्रेजों और टीपू के बीच मार्च 1792 में श्रीरंगपट्टनम् की संधि संपन्न हुई। संधि की शर्तों के अनुसार टीपू को अपने राज्य को अपने राज्य का आधा हिस्सा मिला अंग्रेजों और उसके सहयोगियों को देना था। साथ ही युद्ध के हर्जाने के रूप में टीपू को तीन करोङ रुपये अंग्रेजों को देना था। श्रीरंगपट्टनम् की संधि में यह भी शामिल था कि जब तक टीपू तीन करोङ रुपये नहीं देंगे तब तक उसके दो पुत्र अंग्रेजों के कब्जे में रहेंगे। तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध के परिणाम स्वरूप मैसूर आर्थिक तथा सामरिक रूप से इतना कमजोर हो गया कि टीपू के लिए इसे अधिक दिनों तक स्वतंत्र रखना मुश्किल हो गया। तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध के बारे में यह कथन सिद्ध है कि बिना अपने मित्रों को शक्तिशाली बनाये हमने अपने शत्रु को कुचल दिया। लार्ड कार्नवालिस
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