“धर्म न तो पुस्तकों में है, न धार्मिक सिध्दांतों में | वह तो केवल अनुभूति में निवास करता हैं ” यह किसकी विचारधारा थी ?

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“धर्म न तो पुस्तकों में है, न धार्मिक सिध्दांतों में | वह तो केवल अनुभूति में निवास करता हैं ” यह किसकी विचारधारा थी ?

Pawan Sharma Changed status to publish सितम्बर 20, 2023
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“धर्म न तो पुस्तकों में है, न धार्मिक सिध्दांतों में | वह तो केवल अनुभूति में निवास करता हैं ” यह स्वामी विवेकानन्द की  विचारधारा थी

विवेकानंद वेदान्त धर्म के महान अनुयायी थे। उनके अनुसार वेदांत धर्म विश्व एकता तथा मानवीय विकास का आधारभूत नियम है। उन्होंने बताया कि वेदांत की आध्यात्मिकता के बल पर भारत सारे विश्व को जीत सकता है। उनकी मान्यता थी कि हिन्दू संस्कृति प्राचीन और श्रेष्ठ है। वह सत्य, शिव और सुन्दर पर आधारित है और हिन्दू राष्ट्र विश्व का शिक्षक रहा है और रहेगा।…अधिक जानकारी

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