रणजीतसिंह की सेना को किन फ्रांसीसी सेनापतियों ने यूरोपीय पद्धति पर प्रशिक्षित किया था?

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रणजीतसिंह की सेना को किन फ्रांसीसी सेनापतियों ने यूरोपीय पद्धति पर प्रशिक्षित किया था?

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रणजीतसिंह की सेना को एलार्ड तथा वेण्टुरा नामक फ्रांसीसी सेनापतियों ने यूरोपीय पद्धति पर प्रशिक्षित किया था। रणजीतसिंह का सैनिक प्रबंध रणजीत सिंह स्वयं अत्यंत साहसी, अनुभवी और योग्य सेनानी था। उसकी सैनिक व्यवस्था उच्चकोटि की थी। अपनी सैनिक योग्यता और कुशलता के बल पर ही वह विभिन्न सिक्ख मिसलों का दमन कर विशाल साम्राज्य का निर्माण करने में सफल रहा। सेना के भाग रणजीत सिंह की सेना के दो प्रमुख भाग थे – फौज-ए-आम तथा फौज-ए- खास । ये भी तीन भागों में विभक्त थी – पैदल, घुङसवार और तोपखाना। ये तीनों ही भाग यूरोपीय सैनिक विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित थे। घुङसवार सेना का सिक्खों में पहले से ही बहुत महत्त्व था, लेकिन रणजीत सिंह ने अंग्रेजों से संघर्ष की संभावना को देखते हुए अपनी पैदल सेना और तोपखाने पर भी विशेष ध्यान दिया। पैदल सेना को यूरोपीय पद्धति पर गठित किया गया। फ्रांसीसी सेनापति जनरल वेंचुरा ने इसे प्रशिक्षित किया। पैदल सेना में नियमित ड्रिल तथा परेड का प्रचलन किया गया। सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था। जनरल एलार्ड ने घुङसवार सेना को प्रशिक्षित किया। रणजीत सिंह ने एक शक्तिशाली तोपखाने की स्थापना की। जनरल कोर्ट तथा गार्डनर के नेतृत्व में तोपखाने को यूरोपीय पद्धति पर संगठित किया गया। भारी तोपें बनाने के लिए अमृतसर तथा लाहौर में विशेष कारखाने खोले गए। फौज-ए-खास का संगठन योग्य फ्रांसीसी विशेषज्ञों द्वारा किया गया था, जिससे यह सेना अपनी कुशलता और अनुशासन के कारण अत्यंत उच्चकोटि की हो गयी थी। कनिंघम ने इस सेना को विश्व की योग्यतम सेना बताया था। सेना के अंदर एक अन्य विभाग भी था जिसे फौज-ए-बेकवाइद कहा जाता था, जिसमें केवल घुङसवार सैनिक थे। ये सेना अपने साहस और पराक्रम के लिए प्रसिद्ध थी। इसमें घुङचढे खास तथा मिसलदार शामिल थे।…अधिक जानकारी
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